पातेपुर में शनिवार (20 सितंबर) को हुई राजद नेता तेजस्वी यादव की 'बिहार अधिकार यात्रा' विवादों में घिर गई. यात्रा के दौरान उनके कुछ कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां के खिलाफ फिर से अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया. यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव अपने भाषण में व्यस्त रहे और उन्होंने किसी भी तरह की आपत्ति नहीं जताई. साथ ही अन्य नेताओं ने भी मोदी की मां को गाली देने वाले कार्यकर्ताओं को रोका तक नहीं.
यही घटना अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है और राजनीतिक गलियारों में नई बहस को जन्म दे रही है. बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने इस घटना की कड़ी निंदा की. जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने भी इस मामले पर नाराजगी व्यक्त की.
दिलीप जायसवाल ने रैली की घटना को बताया अस्वीकार्य
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि कल तेजस्वी यादव की रैली में जो घटना हुई, उसे बिहार की जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी. भीड़ में कुछ लोगों ने देश के प्रधानमंत्री और दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता नरेंद्र मोदी की मां के खिलाफ अपमानजनक और आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया. यह तेजस्वी यादव की अपनी हार से बौखलाहट का संकेत है. एफआईआर अपनी जगह दर्ज है और पुलिस अपने स्तर पर कार्रवाई करेगी. जनता के न्याय की उम्मीद जरूर पूरी होगी.
राजीव रंजन ने कार्यकर्ताओं को भड़काने का लगाया आरोप
वहीं, जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि अब जब तेजस्वी यादव और राहुल गांधी खुद अपने कार्यकर्ताओं को भड़का रहे हैं, तो उनसे अनुशासन की उम्मीद करना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि बातचीत का स्तर लगातार गिर रहा है. तेजस्वी यादव और उनके समर्थकों में हताशा और घबराहट स्पष्ट रूप से नजर आ रही है. यही कारण है कि रैली में इस तरह की निंदनीय हरकतें हो रही हैं. तेजस्वी को अपने कार्यकर्ताओं के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए.
राजद के लिए नकारात्मक संदेश है ये घटना
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान राजद के लिए नकारात्मक संदेश के रूप में काम कर सकती है. तेजस्वी यादव की इस सभा में हुई हरकत ने विपक्षी दलों को अवसर दे दिया है कि वे राजद के नेतृत्व और उनके कार्यकर्ताओं के व्यवहार पर सवाल उठा सकें. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो ने लोगों की नाराजगी भी बढ़ा दी है और यह मुद्दा चुनावी राजनीति में गरमागरम बहस का विषय बन गया है.
इस पूरे विवाद के बीच राज्य की जनता और चुनाव आयोग दोनों की नजर इस मामले पर टिकी हुई है. राजनीतिक दलों ने भी जनता से अपील की है कि वे इस तरह की घटनाओं में राजनीतिक रंग न देखें और शांतिपूर्ण चुनाव प्रक्रिया को बनाए रखें.