पटना: इस बार सावन महीना 59 दिनों का होगा. मंगलवार (4 जुलाई) से महीने की शुरुआत हो रही है. कहा जाए तो दो महीने तक सावन रहेगा. आठ सोमवारी व्रत होंगे. दो पूर्णिमा और दो अमावस्या की भी पूजा होगी. इस बार के सावन को लेकर कहीं कोई कन्फ्यूजन है तो फिर यह खबर आपके लिए है. पटना के संस्कृत कॉलेज से रिटायर्ड प्रोफेसर और विख्यात पंडित पतंजलि शास्त्री ने इसके बारे में पूरी जानकारी दी है. एबीपी न्यूज़ से बातचीत में उन्होंने इस बार के सावन को खास बताया है.

हिंदी पंचांग के अनुसार हर तीन साल के बाद एक अधिकमास महीना होता है जिसे मलमास भी कहते हैं. काफी अरसे के बाद इस बार श्रावण महीने में ही अधिकमास लग रहा है. शुद्ध सावन की शुरुआत चार जुलाई से होगी. यह 17 जुलाई तक रहेगा. इसके बाद 18 जुलाई से अधिकमास महीने की शुरुआत हो जाएगी. इस महीने को भी सावन ही कहा जाएगा. 16 अगस्त को अमावस्या के साथ अधिकमास महीना खत्म होगा. इसके बाद शुद्ध सावन 17 अगस्त से शुरू होगा और 31 अगस्त को पूर्णिमा के साथ समाप्त हो जाएगा.

अधिकमास में भी भोलेनाथ की पूजा करना शुभ

पटना के संस्कृत कॉलेज से रिटायर्ड प्रोफेसर पंडित पतंजलि शास्त्री ने बताया कि पूजा-पाठ करने वालों के लिए बहुत ही सुनहरा अवसर है कि इस बार श्रावण महीने में अधिकमास लग रहा है. अधिकमास में भगवान विष्णु का निवास होता है और तब श्रावण महीने में भगवान भोलेनाथ विराजमान रहते हैं. इस बार श्रावण में भगवान शंकर और भगवान विष्णु का मिलन हो रहा है इसलिए पूरे दो महीने तक भगवान शंकर का जलाभिषेक और पूजा करना शुभ है. भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है. अधिकमास में भगवान शंकर की पूजा करने से भगवान विष्णु भी खुश होते हैं.

पंडित पतंजलि शास्त्री ने बताया कि हिंदी में 12 महीने होते हैं और साथ ही 12 राशि भी है. अधिकमास में किसी राशि का प्रवेश नहीं होता है. सूर्य का प्रभाव अधिकमास में नहीं होता है. यही कारण है कि अधिकमास में भगवान विष्णु विराजमान रहते हैं. आठ सोमवारी व्रत होंग. जो प्रतिदिन जलाभिषेक करते हैं अगर वह इस बार 59 दिनों का जलाभिषेक करेंगे तो विशेष फल की प्राप्ति होगी.

अधिकमास के दौरान क्या नहीं करें?

पंडित पतंजलि शास्त्री ने कहा कि जब से अधिकमास प्रारंभ होगा उस एक महीने के दौरान शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. जैसे नए कार्य या मुंडन, गृह प्रवेश, ऐसे कई शुभ कार्य हैं जो अधिकमास में नहीं किया जाता है, लेकिन पूजा-पाठ करना फायदेमंद है. अधिकमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. यानी कहा जाए तो सभी महीनों में यह महीना उत्तम होता है. उन्होंने बताया कि हर तीन महीने के बाद चौथे महीने पर अधिकमास होता है परंतु काफी सालों के बाद इस बार सावन महीने में अधिकमास आया है.

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