राजनीति कभी समाजसेवा का माध्यम हुआ करती थी, लेकिन आज स्थिति काफी बदल चुकी है. सत्ता के रसूख और दिखावे की होड़ में जनसेवा कहीं पीछे छूटती जा रही है. पद मिलते ही नेता और उनके परिवार के सदस्य जिस तरह सरकारी संसाधनों का निजी उपयोग करने लगते हैं, वह वंशवाद की राजनीति की एक और तस्वीर पेश करता है.

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जानकारी के अनुसार, ऐसा ही एक मामला रोहतास जिले से सामने आया है, जहां एक नवनिर्वाचित विधायक के बेटे का सरकारी सुरक्षाकर्मियों के साथ शादियों में घूमने का फोटो वायरल होने के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है.

क्या है पूरा मामला?

जानकारी के अनुसार, डेहरी से नवनिर्वाचित विधायक राजीव रंजन उर्फ सोनू सिंह के बेटे सौरभ सिंह की एक शादी समारोह में अपने पिता के सरकारी बॉडीगार्ड के साथ मौजूदगी की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. इस तस्वीर के सामने आते ही जिले में सुरक्षा प्रोटोकॉल को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि जिस कार्यक्रम में यह तस्वीर ली गई, वहां स्वयं विधायक उपस्थित नहीं थे. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बिना विधायक की उपस्थिति में उनके बेटे को सरकारी सुरक्षा कर्मी कैसे और किस अनुमति पर उपलब्ध कराए गए.

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हालांकि तस्वीर की प्रामाणिकता को लेकर भी चर्चा जारी है, क्योंकि एआई के बढ़ते दौर में किसी भी वायरल फोटो को अंतिम सत्य नहीं माना जा सकता. फिर भी, यह पूरा प्रकरण प्रशासनिक प्रक्रियाओं और सरकारी संसाधनों के उपयोग को लेकर गंभीर सवाल खड़ा करता है.

राजद का कड़ा विरोध और सवाल

इस फोटो के सामने आते ही जिला राजद नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. राजद ने आरोप लगाया है कि सरकारी सुरक्षा सिर्फ चुने हुए जनप्रतिनिधि के लिए होती है, उनके परिवार के सदस्यों के लिए नहीं. राजद नेताओं का कहना है कि सरकारी गार्ड को निजी बॉडीगार्ड की तरह इस्तेमाल करना न केवल गलत है, बल्कि यह सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग की स्पष्ट मिसाल भी है. इससे जनता के बीच गलत संदेश जाता है कि सत्ता में आने के बाद नेता और उनके परिवार कानून से ऊपर हो जाते हैं.

अब तक सामने नहीं आया विधायक का पक्ष 

इस विवाद पर डेहरी विधायक सोनू सिंह का पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन फोन पर उनसे संपर्क नहीं हो पाया. इसके बाद व्हाट्सएप पर भी संदेश भेजकर प्रतिक्रिया देने का आग्रह किया गया, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ.

सोशल मीडिया पर हो रही चर्चा और विपक्ष के सवालों के बीच प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है कि वह सरकारी सुरक्षा व्यवस्था के प्रोटोकॉल की जांच करे और मामले की सच्चाई सामने लाए.

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