बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन हो चुका है. नए कार्यकारी सदस्यों की भी सूची तीन दिन पहले 23 जुलाई को निकल चुकी है. इसके चुनाव से पहले आरजेडी के विभिन्न प्रकोष्ठों  के अध्यक्षों की भी अदला-बदली की गई.

जातीय समीकरण चुनावी नैया पार कराने में मददगार!

वैसे तो यह चयन रूटीन वर्क है, लेकिन चुनाव से पहले जिस तरह से कार्यकारी सदस्यों का चयन किया गया है इससे साफ दिख रहा है कि लालू प्रसाद यादव जातीय समीकरण के आधार पर सदस्यों का चयन किये हैं, जो बिहार विधानसभा चुनाव की नैया पार करने में काफी मददगार साबित हो सकती है.

लालू प्रसाद यादव शुरू दौर से ही जातीय समीकरण साधने के माहिर रहे हैं, यही वजह है कि एम-वाय समीकरण आज भी लालू प्रसाद यादव के साथ है. नए राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलाकर कुल 29 सदस्यों का चयन किया गया है. इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष तो लालू प्रसाद यादव ही रहे, लेकिन उपाध्यक्ष, प्रधान महा सचिव, राष्ट्रीय महासचिव और सचिव तथा कोषाध्यक्ष के पद पर कहीं ना कहीं जातीय समीकरण साधने की पूरी कोशिश की गई है.

जातीय गणना सर्वे के अनुसार एक जाति में यादव की संख्या 14 % से अधिक है तो मुस्लिम की संख्या भी करीब 18% है और लालू प्रसाद यादव  ने जातीय समीकरण के हिसाब से यादव और मुस्लिम को आगे करने में परहेज नहीं किया तो सवर्ण दलित और अतिपिछड़ा को भागीदारी देकर बड़ा दांव खेल दिया है. इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 29 में से सात सदस्य यादव हैं. 

खुद लालू प्रसाद यादव के अलावा उपाध्यक्ष में पहला नाम राबड़ी देवी का है तो राष्ट्रीय महासचिव में चार यादव और सचिव में एक यादव को जगह दी गई है. बड़े पदों में मुस्लिम को भी इग्नोर नहीं किया गया है. उपाध्यक्ष में महबूब अली कैसर का नाम रखा गया है, जो खगड़िया जिले से आते हैं. वहीं आरजेडी के पुराने कद्दावर नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी को राष्ट्रीय प्रधान महासचिव बनाया गया है, जो मुस्लिम वोटर साधने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.

इसके अलावा राष्ट्रीय महासचिव में विधान परिषद सैयद फजल अली को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में रखा गया है. हालांकि लालू प्रसाद यादव शुरू दौर से जातीय राजनीति करने में माहिर रहे हैं और उन्होंने स्वर्ण को कभी वह पीछे नहीं रखा है. खासकर राजपूत जाति को इस बार भी अगली पंक्ति में रखने का काम किया है. कहा जा रहा था कि जगदानंद सिंह नाराज हैं तो उनको राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है.

सुनील कुमार सिंह जो राबड़ी देवी के मुंहबोले भाई माने जाते हैं, उनको कोषाध्यक्ष का पद बरकरार रखा गया है. इसके साथ ही लालू प्रसाद यादव ने अति पिछड़ा और दलित सदस्यों की भी संख्या अच्छी खासी रखी है, जिसमें खुद लालू प्रसाद यादव के अलावा उपाध्यक्ष में पहला नाम राबड़ी देवी का है तो राष्ट्रीय महासचिव में चार यादव और सचिव में एक यादव को जगह दी गयी है.

बड़े पदों में मुस्लिम को भी इग्नोर नहीं किया गया है. उपाध्यक्ष में महबूब अली कैसर का नाम रखा गया है जो खगड़िया जिले से आते हैं तो आरजेडी के पुराने कद्दावर नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी को राष्ट्रीय प्रधान महासचिव बनाया गया है जो मुस्लिम वोटर साधने में अहम भूमिका निभा सकते हैं .इसके अलावा राष्ट्रीय महासचिव में विधान परिषद सैयद फजल अली को राष्ट्रीय कार्यकारिणी रखा गया है.

हालांकि लालू प्रसाद यादव शुरू  दौर से जातीय राजनीति करने में माहिर रहे हैं और स्वर्ण को कभी वह पीछे नहीं रखा है. खासकर राजपूत जाति को इस बार भी अगली पंक्ति में रखने का काम किया है. कहा जा रहा था कि  जगदानंद सिंह नाराज हैं तो उनको राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है ,  सुनील कुमार सिंह जो राबड़ी देवी के मुंह बोले भाई माने जाते हैं उनको कोषाध्यक्ष का पद बरकरार रखा गया है. इसके साथ ही लालू प्रसाद यादव ने अति पिछड़ा और दलित सदस्यों की भी संख्या अच्छी खासी रखी है.

राष्ट्रीय कार्यकारिणी के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रकोष्ठों में भी चुनाव को देखते हुए जातीय समीकरण साधा गया है. इसमें 6 प्रकोष्ठों का नया अध्यक्ष बनाया गया है, जिसमें दो-दो प्रकोष्ठ में राजपूत जाति को रखा गया है. राष्ट्रीय महिला प्रकोष्ठ में डॉ. कांति सिंह जो पूर्व मंत्री रहीं, उनको जगह दी गई है तो जगदानंद सिंह के बेटे सांसद सुधाकर सिंह को राष्ट्रीय किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष बनाकर राजपूत वोटरों को साधने की कोशिश की गई है. लोकसभा चुनाव में शाहाबाद पर जिस तरह महागठबंधन विजय हासिल की थी अब उसे किसी भी तरह से आरजेडी चूकना नहीं चाहती.

शाहाबाद क्षेत्र से आने वाले नेताओं का खास ख्याल

यही वजह है कि शाहाबाद क्षेत्र से आने वाले नेताओं को हर जगह विशेष रूप में जगह दी गई है. राष्ट्रीय युवा प्रकोष्ठ का अध्यक्ष औरंगाबाद के सांसद अभय कुशवाहा को बनाया गया है. अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में मोहम्मद अली अशरफ फातमी जो पूर्व मंत्री रहे, उनको जगह दी गई है तो अनुसूचित जाति एवं जनजाति के प्रकोष्ठ के अध्यक्ष में पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम को जगह दी गई है. राष्ट्रीय छात्र प्रकोष्ठ में यादव को जगह देते हुए नवल किशोर यादव को अध्यक्ष बनाया गया है.

कुल मिलाकर देखा जाए तो प्रकोष्ठ हो या राष्ट्रीय कार्यकारिणी सभी जगह पर जाति पर विशेष ध्यान दिया गई है. मुस्लिम यादव को पहले की तरह साथ रखते हुए पिछड़ा दलित और स्वर्ण समुदाय सभी को जोड़ते हुए लालू प्रसाद यादव ने रणनीति तैयार की है, जो आगामी चुनाव में कहीं ना कहीं बड़ा फायदा हो सकता है.

ये भी पढ़ें: 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विशेष चर्चा के बीच पप्पू यादव का बड़ा बयान, PM मोदी का नाम लेकर क्या कहा?