देश की आजादी के बाद पहली बार बुधवार (24 सितंबर, 2025) को पटना में सीडब्ल्यूसी यानि राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक हुई. इस बैठक में राहुल गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित देश के कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता शामिल हुए. कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं में ऊर्जा भरी गई, लेकिन सवाल उठ रहा है कि चुनावी वर्ष में कांग्रेस पार्टी जिस तरीके से एक्शन मोड में है, वो कहीं ना कहीं आरजेडी को प्रदेश में सीमित करने की कोशिश है. 

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'बिहार में बदलाव के लिए सुखद संदेश'

बिहार के राजनीतिक गलियारों में अब ये सवाल उठ रहा है कि इस बैठक का मकसद क्या विपक्ष पर हमला करना है या गठबंधन के सहयोगी दल राष्ट्रीय जनता दल के सामने खुद को बड़ा भाई साबित करने की कोशिश है. बीजेपी और जेडीयू इस बैठक को आरजेडी पर दबाव बनाने की बात कह रही है. वहीं आरजेडी बिहार में बदलाव के लिए सुखद संदेश कह रही है. वहीं कांग्रेस ने कहा कि यह देश की आजादी के बाद दूसरी बार देश को कंपनियों से बेचे जाने के विरोध की लड़ाई है.

कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक पर बीजेपी ने तंज कसा है. बीजेपी प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि 85 साल बाद सदाकत आश्रम में कांग्रेस की ओर से राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक के नाम पर पार्टी के आला नेताओं के जुटाने से कोई लाभ मिलने वाला नहीं है. महागठबंधन में अन्य दलों के नेता दूरी बनाए हुए हैं. कांग्रेस के बड़े नेताओं के स्वागत के लिए भी कोई एयरपोर्ट पर नहीं गए.

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प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा,"तेजस्वी यादव भी अचानक बीमार पड़ गए. दरअसल कांग्रेस के युवराज एवं अन्य नेताओं का जमघट एक दिखावा है. असल उद्देश्य आरजेडी को आईना दिखाकर खुद को बड़ा भाई का तगमा लेना है." उन्होंने कहा कि खेल तो अब होगा जब सीट शेयरिंग को लेकर नए सिरे से खिचकिच होगी. तमाशा होना अभी बाकी है आगे आगे देखिए होता क्या है?

वहीं जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा कि "कांग्रेस पार्टी के पटना में सीडब्ल्यूसी की बैठक कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है. कांग्रेस पार्टी आरजेडी पर दबाव बनाने के लिए आजादी के बाद पहली बार पटना में राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक कर रही है. लेकिन कांग्रेस के दबाव में आरजेडी नहीं आने वाली है. इसका संदेश भी तेजस्वी यादव ने बिहार अधिकारी यात्रा करके दे दिया है." उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि कांग्रेस पार्टी अपने 70 सीट पाने के लिए आरजेडी पर हर तरह की कार्रवाई कर रही है. आरजेडी उनको 70 सीट नहीं देने जा रही और कांग्रेस पार्टी हर हथकंडे अपना कर भी खाली हाथ रह जाएगी. 

बैठत को लेकर क्या बोली आरजेडी?

हालांकि आरजेडी ने इस बैठक को सुखद संदेश कहा है. आरजेडी प्रवक्ता  एजाज अहमद ने कहा कि "यह बैठक कोई दबाव के लिए नहीं है, जिस तरह राहुल गांधी और तेजस्वी यादव एक साथ बिहार में यात्रा किए और अब अकेले भी तेजस्वी यादव अकेले बिहार की यात्रा पर हैं. आज कांग्रेस ने जो बैठक की है उससे  एनडीए के लोग घबरा गए हैं. कांग्रेस की बैठक गठबंधन के लिए उखाड़ने का संकेत हैं. हमारे गठबंधन की पार्टी जितनी ज्यादा मजबूत होगी उतना ज्यादा महागठबंधन मजबूत होगा. पूरे बिहार में बदलाव की लहर है और आगामी 2025 में महागठबंधन के सभी दल मिलकर एनडीए सरकार को उखार फेकेंगे."

कांग्रेस प्रवक्ता असीतनाथ तिवारी ने कहा कि "ना तो हमें आरजेडी के ऊपर रहना है ना अपने किसी सहयोगी दल के ऊपर रहना है. हम महागठबंधन में है और गठबंधन धर्म का पालन करेंगें, लेकिन हमें अपने लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना है, हमें अपने जनता के अधिकारों की रक्षा करना है और उसके लिए संघर्ष करना है."

उन्होंने कहा कि "यह सदाकत आश्रम वह जमीन है, जहां देश की आजादी के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी को खदेड़ने का काम किया गया. आज फिर एक बार देश को कंपनी राज के हवाले करने की कोशिश की जा रही है, कांग्रेस पार्टी पहले भी ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ी थी और आज फिर एक बार जब देश कंपनी के हवाले जा रहा है तो उसके खिलाफ लड़ाई लड़ने की तैयारी हैं, और इसका शंखनाद बिहार से किया जा रहा है.

अब सवाल ये है कि बिहार के इस सदाकत आश्रम से जिस तरह कांग्रेस के प्रथम पंक्ति के नेताओं महात्मा गांधी, राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, अबुल कलाम आजाद, मौलाना मजहरूल हक, जेसे नेताओं ने देश की आजादी के लिए कई महत्वपूर्ण रणनीतियां रचीं, क्या आज की कांग्रेस भी उस ईमानदारी और लगन से अपनी दिशा तय कर पाएगी, जो उसे बिहार में बड़े भाई की भूमिका निभाने में कामयाबी दिला सके और बकौल कांग्रेस देश को कंपनी के हवाले किए जाने की दूसरी लड़ाई लड़ सके.

खोई विरासत की तलाश में कांग्रेस!

सवाल ये भी है कि क्या ये सदाकत आश्रम एक बार फिर इतिहास रचने को तैयार है?, जहां से कांग्रेस कार्यसमिति की पहली बैठक 1940 हुई थी और अब 85 साल बाद 2025 में कांग्रेस फिर से अपनी खोई जमीन तालाश कर रही है. भले ही बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम जो भी हो, लेकिन चुनाव से ठीक पहले, यह आयोजन एक दिलचस्प ऐतिहासिक घटनाक्रम को जरूर गढ़ गया. अब आज की कांग्रेस अपनी खोई विरासत इसी सदाकत आश्रम से तालाश कर रही है, जहां अजादी के मतवाले 'सदाकत' यानि सच्चाई के साथ लड़े थे. 

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