Prashant Kishor News: चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर सीएम नीतीश (Nitish Kumar) के करीबी रहे आरसीपी को अपनी पार्टी में शामिल करने के बाद रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गांव कल्याण बिगहा के लिए निकले, लेकिन वो कल्याण बिगहा नहीं पहुंच सके. प्रशासन ने उन्हें गांव में जाने से रोक दिया. इसके बाद वो बरहां गांव में ही रुक गए और लोगों से बातचीत की. गांव वालों से मिलकर उन्होंने सरकार के किए गए वादों की हकीकत जानी. प्रशांत ने गांव में लोगों से तीन सवाल पूछे, इन तीनों ही सवाल पर ग्रामीणों ने निराशा भरे जवाब दिए.
'बिहार बदलाव हस्ताक्षर अभियान' की शुरुआत
बिहार बदलाव हस्ताक्षर अभियान के तहत प्रशांत किशोर नालंदा जिले के हरनौत प्रखंड के बरहा गांव पहुंचे और वहां लोगों से पूछा कि तीन डिसमिल जमीन आपको मिली या नहीं, जमीन सर्वे में पैसा लिया जा रहा है? आप लोगों में से किसी के पास तीन डिस्मिल जमीन है. इन तमाम सवालों पर ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों ने अपनी शिकायत की लंबी लाइन लगा दी. कहा अफसर लोग जमीन नहीं देते, पैसा मांगा जा रहा है. हमें कोई लाभ नहीं मिल रहा है.
इस पर जब प्रशांत किशोर ने कहा कि आप लोग जब सीएम आते हैं तो उनसे शिकायत क्यों नहीं करते, इस सवाल पर एक व्यक्ति ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो गाड़ी से उतरते ही नहीं. इसके अलावा प्रशांत किशोर को लोगों ने अपनी कई समस्याओं से अवगत कराया.
प्रशांत किशोर का कहना है कि बिहार में करीब 94 लाख गरीब परिवार हैं, जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिला की नहीं वो जानना चाहते हैं. उन्होंने कहा, "हम सिर्फ यह देखना चाहते हैं कि अगर नीतीश कुमार के गांव में किसी को इस योजना का लाभ मिला है, तो उनसे मिलें और उनसे बात करें.
दरअसल अपनी चुनावी रणनीति के तहत पीके 'बिहार बदलाव हस्ताक्षर अभियान' चला रहे हैं, जिसमें वो सीएम नीतीश की विश्वसनीयता की परख करेंगे. वो लोगों से तीन सवाल पूछ रहे हैं. नीतीश कुमार ने पिछड़ों और वंचितों के लिए विकास के बड़े-बड़े दावे किए हैं. जमीन देने घर बनवाने जैसे कई वादे किए गए हैं, ये सब पूरे हुए कि नहीं इन दावों का रियलिटी चेक कर रहे हैं.
इसके लिए लोगों से तीन सवाल पूछ रहे हैं, पहला- क्या गरीब दलित परिवारों को आवास के लिए तीन डिसमिल जमीन दी गई है? दूसरा, क्या भूमि सर्वेक्षण में रिश्वत ली जा रही है? और तीसरा, क्या जाति सर्वेक्षण के आधार पर चिन्हित गरीब परिवारों को दो लाख रुपये की सहायता दी गई है?
नीतीश कुमार के गांव जाने से प्रशासन ने रोका
बता दें कि इससे पहले पीके को नीतीश कुमार के गांव जाने से प्रशासन ने रोक दिया, जिसे लेकर पुलिस के साथ पीके की काफी कहासुनी भी हुई. उनके काफिले को रोके जाने के बाद उन्होंने कहा कि ये पहले बिहार पहले नहीं होता था. किसी को भी संवाद करने से नहीं रोका जाता था, हाल ही में राहुल गांधी आए तो उनको भी रोका गया.
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