Prashant Kishor News: 13 दिसंबर को प्रदेश के 912 परीक्षा केंद्रों पर 70वीं बीपीएससी की पीटी परीक्षा हुई थी. उस दिन पटना के एक सेंटर 'बापू परीक्षा परिसर' में जमकर हंगामा हुआ था जिसके बाद यहां का एग्जाम रद्द हो गया. अभ्यर्थियों की मांग थी कि पूरी परीक्षा रद्द की जाए. इसके बाद से धरना प्रदर्शन और आंदोलन शुरू हो गया. अभ्यर्थीयों के आंदोलन में विपक्षी दलों ने भी राजनीति की. इसमें जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर अभ्यर्थियों के समर्थन में आगे आए. उनकी अगुवाई में लाठीचार्ज भी हुआ. इसके बाद दो जनवरी से वो आमरण अनशन पर गांधी मैदान में बैठे थे, जहां से सोमवार (06 जनवरी, 2025) को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. देर शाम बिना शर्त बेल भी मिल गई.
पढ़िए टाइमलाइन कि कैसे इस आंदोलन में क्या हुआ
13 दिसंबर को बिहार के सभी जिलों में करीब 912 केद्रों पर 70वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा हुई थी. उसी दिन पटना के बापू परीक्षा परिसर में परीक्षा के दौरान हंगामा हुआ था. अभ्यार्थियों ने आरोप लगाया था कि लेट से पर प्रश्न पत्र बांटे गए थे. अनियमितता का आरोप लगाया था.
15 दिसंबर को जिला प्रशासन ने जांच रिपोर्ट बीपीएससी को सौंप दी. इसमें पाया गया कि प्लानिंग के तहत परीक्षा रद्द करवाने की साजिश थी और उसी को लेकर हंगामा किया गया था. सीसीटीवी फुटेज भी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया गया था.
16 दिसंबर को जांच रिपोर्ट के आधार पर बीपीएससी ने बापू परीक्षा परिसर के एग्जाम को रद्द कर दिया. यहां करीब 12 हजार अभ्यर्थी परीक्षा में बैठे थे. सिर्फ बापू परीक्षा परिसर के परीक्षार्थियों का 4 जनवरी 2025 को दोबारा एग्जाम लिया गया.
पहली बार 18 दिसंबर को अन्य केअभ्यर्थियों का जुटान हुआ और पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल से पूरी परीक्षा रद्द करा री-एग्जाम की मांग शुरू हुई. उसी दिन से लगातार धरना शुरू हो गया.
21 दिसंबर को पहली बार नेताओं की एंट्री हुई. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने गर्दनीबाग में धरना दे रहे अभ्यर्थियों से वीडियो कॉल पर बात की थी.
25 दिसंबर को अभ्यर्थियों का आंदोलन उग्र हुआ. आठवें दिन बीपीएससी कार्यालय के बाहर अभ्यर्थी घेराव करने पहुंचे थे जहां पुलिस ने लाठीचार्ज किया. कई अभ्यर्थी उसमें घायल हुए थे.
26 दिसंबर को पहली बार प्रशांत किशोर अभ्यर्थियों से मिलने गर्दनीबाग धरना स्थल पर पहुंचे थे. वहां वे करीब 10 मिनट तक रुके थे.
27 दिसंबर को प्रशांत किशोर ने छात्र संसद का घोषणा की.
29 दिसंबर को छात्र सांसद के तहत पटना के गांधी मैदान में गांधी मूर्ति के पास सैकड़ों की संख्या में अभ्यर्थी पहुंचे थे. प्रशांत किशोर भी शामिल हुए थे. देर शाम तक उस दिन पुलिस ने लाठीचार्ज किया था. उस दिन भी कई अभ्यर्थी घायल हुए थे.
30 दिसंबर को प्रशांत किशोर ने संवाददाता सम्मेलन कर आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया था. 30 दिसंबर को ही अभ्यर्थियों का एक डेलीगेट मुख्य सचिव से मिला था. 30 दिसंबर को ही प्रशांत किशोर ने देर शाम तक कहा था कि 48 घंटे में अगर कोई निराकरण नहीं निकलता है तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.
2 जनवरी 2025 को प्रशांत किशोर गांधी मैदान में गांधी मूर्ति के नीचे आमरण अनशन पर बैठ गए. उसी दिन जिला प्रशासन की ओर से कहा गया था कि इसके लिए अनुमति नहीं ली गई है. प्रशांत किशोर उस दिन से लगातार बैठे रहे. जिला प्रशासन की ओर से अल्टीमेटम भी दिया गया. उन पर एफआईआर भी दर्ज हो गई.
आमरण अनशन के पांचवें दिन सोमवार (06 जनवरी) की अल सुबह पुलिस ने गांधी मैदान से प्रशांत किशोर को हिरासत में ले लिया. समर्थकों को हिरासत में ले लिया. इसेके बाद डीएम की ओर से प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी की पुष्टि की गई.
गिरफ्तार करने के बाद पुलिस सबसे पहले पीके को लेकर एम्स पहुंची. यहां पीके का मेडिकल नहीं हो सका. इसके बाद 5-6 घंटे तक एंबुलेंस में पुलिस पीके को लेकर घुमाती रही.
सुबह करीब 9 बजे फतुहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल टेस्ट करागया गया. करीब डेढ़ घंटे तक फतुहा में रखने के बाद वहां से पुलिस पीके को लेकर सिविल कोर्ट पहुंच गई. सिविल कोर्ट से उन्हें शर्त के साथ जमानत दे दी गई.
प्रशांत किशोर ने शर्त के साथ बेल लेने से इनकार कर दिया. इसके बाद उन्हें बेऊर जेल के लिए भेजा गया. हालांकि पीके के वकील की ओर से दोबारा बहस के बाद कोर्ट का फाइनल ऑर्डर आया जिसमें बिना शर्त के जमानत दी गई. इसके बाद पुलिस ने प्रशांत किशोर को छोड़ दिया.
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