बिहार की राजनीति में मंगलवार (30 सितंबर) को बड़ा घटनाक्रम सामने आया, जब भोजपुरी स्टार और बीजेपी नेता पवन सिंह की मुलाकात राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से हुई. इस मुलाकात को दोनों नेताओं के बीच मन-मुटाव खत्म करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. बीजेपी मान रही है कि अगर इन दोनों नेताओं के बीच का मर्म काम हो जाता है तो उसका सीधा फायदा आगामी विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा.

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बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री विनोद तावड़े ने पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात करवाई. मुलाकात के बाद विनोद तावड़े ने कहा कि पवन सिंह अब पार्टी के कार्यकर्ता के तौर पर पूरी मजबूती से काम करेंगे. 

पवन सिंह की वजह से चुनाव हारे थे उपेंद्र कुशवाहा

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के बीच तालमेल बीजेपी के लिए बेहद जरूरी है क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट पर उपेंद्र कुशवाहा को पवन सिंह की वजह से बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था. उपेंद्र कुशवाहा ना सिर्फ  चुनाव हारे, बल्कि उस चुनाव में कुशवाहा तीसरे नंबर पर रहे थे.

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2024 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी और एनडीए को जिन सीटों पर हार का सामना करना पड़ा, उनमें से मगध शाहाबाद के इलाके से आने वाली सीट शामिल हैं और उसकी वजह राजपूत और कुशवाहा समाज के बीच टकराव को माना  गया. इस क्षेत्र में दोनों समाजों के वोट आमने-सामने आने से बीजेपी/ एनडीए को नुकसान उठाना पड़ा.

राजपूत और कुशवाहा मतदाताओं पर फोकस

यही नहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी की स्थिति इन क्षेत्रों में खास मजबूत नहीं रही थी. कुल 48 सीटों में से पार्टी सिर्फ 20-25 फीसदी सीटें ही जीत पाई थी. जानकारों का कहना है कि अगर पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा साथ आते हैं, तो इस बार राजपूत और कुशवाहा मतदाताओं के बीच की दूरी कम हो सकती है, जिससे बीजेपी/एनडीए को चुनावी फायदा मिलेगा.

कुल मिलाकर, पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा की यह मुलाकात बीजेपी/ एनडीए की रणनीति का अहम हिस्सा मानी जा रही है, जो आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी की सियासी जमीन को मजबूत कर सकती है.