बिहार में इस साल (2025) विधानसभा चुनाव होना है और कार्यकर्ता से लेकर नेता-मंत्री तक उसी में व्यस्त हैं. लक्ष्य जीत का है और इधर स्वास्थ्य विभाग भगवान भरोसे है. कोई देखने वाला नहीं है. पीएमसीएच बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल है, लेकिन यहां मरीज के परिजनों का कहना है कि सही इलाज नहीं हो पा रहा है. बिना इलाज के लौट रहे हैं. दुर्भाग्य की बात है कि ऐसी व्यवस्था पर अस्पताल का कोई अधिकारी बोल नहीं रहा है. उपाधीक्षक कहते हैं अधीक्षक बयान देंगे और अधीक्षक कार्यालय में मिलते नहीं हैं. इतना छोड़िए फोन तक नहीं उठाते हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के मंत्री मंगल पांडेय से तो लोग यही कहेंगे कि चुनाव छोड़िए और जरा इधर ध्यान दीजिए. पढ़िए एबीपी बिहार की दो दिनों की लाइव रिपोर्ट. समझिए अस्पताल में क्या चल रहा है और हमने कैमरे में जो कुछ कैद किया है उसकी तस्वीरें देखिए.

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तारीख- 22 सितंबर 2025… दिन सोमवार

समय करीब 4 बजकर 30 मिनट हो रहा है. हम पीएमसीएच के मखनिया कुआं वाले गेट से अंदर घुसते हैं… ओपीडी छोड़कर हथुआ वार्ड और टाटा वार्ड होते हुए हम धीरे-धीरे सीधे इमरजेंसी वार्ड की तरफ बढ़ते हैं. अस्पताल में कई सारी नई बिल्डिंग का काम चल रहा है. इमरजेंसी के पास पहुंचने पर कहीं गाड़ी लगाने की जगह नहीं है. जगह काफी है, लेकिन गाड़ी लगाना मना है. 

गाड़ी देखते ही गार्ड ने रोका. कहा अस्पताल के बाहर मरीन ड्राइव (जेपी गंगा पथ) पर गाड़ी लगाना होगा. इमरजेंसी के पास एंबुलेंस के अलावा कुछ गाड़ियां थीं (जो शायद अस्पताल के कर्मियों डॉक्टरों की हों)... पूछा गया तो इस पर जवाब मिला पीएमसीएच का अपना कानून है…

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(अस्पताल के बाहर जेपी गंगा पथ पर लगी गाड़ियां)

यहां बता दें कि मरीन ड्राइव पर गाड़ी लगाना मना है. जहां गार्ड गाड़ी लगवाते हैं वहां साफ निर्देश का बोर्ड लगा है कि कार्रवाई हो सकती है. नीचे बोर्ड पर संदेश को पढ़ें.

खैर… गार्ड की बातों को सुनकर हमारा एक साथी गाड़ी के साथ इमरजेंसी के बाहर ही रुक जाता है. गार्ड से बहस करने का मतलब मारपीट करना. पीएमसीएच का यह इतिहास है. इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती. यहां से एक साथी इमरजेंसी की तरफ बढ़ जाता है… इसके साथ ही धीरे-धीरे अव्यवस्था की पोल खुलने लगी. मरीजों के परिजनों के पास केवल समस्या ही समस्या है… किसी को बेड नहीं है कहकर रेफर कर दिया जा रहा है तो किसी को दवाइयों के लिए बाहर दौड़ना पड़ रहा है…

छपरा से आए एक मरीज के परिजन ने कहा कि पीएमसीएच रेफर किया गया था… यहां आने पर पता चला कि भर्ती नहीं किया जा सकता है. बेड नहीं है… अब कहीं और भेजा जा रहा है… एक मरीज के परिजन ने कहा कि अस्पताल में दवाइयों की व्यवस्था नहीं है… कुछ मिल जाती हैं तो कुछ बाहर से लानी पड़ती हैं…

तारीख 23 सितंबर 2025… दिन मंगलवार

सुबह के करीब 10 बज रहे हैं. इमरजेंसी के पास जहानाबाद की रहने वाली पम्मी देवी की हालत खराब हो गई थी. अचेतावस्था में थीं… उल्टी हो रही थी. कैमरे पर जब रिकॉर्ड करने की कोशिश की गई तो गार्ड और कुछ अन्य लोग (जो शायद दलाल हों) मना करने लगे… क्यों फोटो खींच रहे हैं… मजबूरन फोन के कैमरे को बंद करना पड़ा. परिजनों ने कहा कि सुबह चार बजे इमरजेंसी में लाया गया था. एक घंटे के बाद डॉक्टर ने देखा. फिर कहा कि मनोचिकित्सक से दिखाना होगा… यह कहकर रेफर कर दिया गया. 

परिजनों ने कहा कि इमरजेंसी वार्ड में ट्रॉली से मुख्य गेट पर मरीज को लाया गया. इसके बाद कहा गया कि अपनी व्यवस्था से अस्पताल के अंदर ही मनोचिकित्सा वाले विभाग में ले जाना होगा. यहां खेल देखिए… डेढ़ से दो सौ मीटर के लिए एंबुलेंस वाले 500 मांगने लगे. परिजनों ने ई-रिक्शा का सहारा लिया… 100 रुपया देकर मरीज को ले गए. ट्रॉली वाले ने 100 रुपये पहुंचाने के लिए मांगा लेकिन पत्रकार को देखते ही वह नौ दो ग्यारह हो गया. 

मरीज के परिजन कन्हैयालाल ने कहा कि वह कैमरे पर कुछ नहीं बोलेंगे नहीं तो इलाज नहीं हो पाएगा. कहा कि पीएमसीएच में मरीज को लाना खतरों से खेलने के बराबर है. इमरजेंसी में घंटों रहने के बाद मरीज को उल्टी रोकने के लिए भी दवा भी नहीं दी गई. मनोचिकित्सा विभाग में आने पर पता चला डॉक्टर 11 बजे के बाद आएंगे.

कार्यालय में नहीं मिले अधीक्षक… नहीं उठाया फोन 

दो दिनों में जो एबीपी न्यूज़ की टीम ने जो देखा और महसूस किया उसके बारे में अस्पताल के अधीक्षक से सवाल करना चाहा लेकिन कोई बोलने को तैयार नहीं है. पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. इंद्रशेखर ठाकुर मंगलवार (23 सितंबर, 2025) की सुबह 11 बजे तक कार्यालय में नहीं मिले. टीम ने उनके मोबाइल पर संपर्क किया. दो बार फुल रिंग होने के बाद भी उन्होंने रिसीव नहीं किया. कार्यालय में तैनात गार्ड ने बताया कि इनके आने का कोई ठिकाना नहीं है. कब आएंगे कब जाएंगे कोई नहीं जानता है. इसके बाद हमने उपाधीक्षक से संपर्क किया. 11 बजे तक वे भी कार्यालय में नहीं मिले. उनके मोबाइल पर संपर्क साधा गया तो उन्होंने कहा, "मीडिया से हम लोगों को बात करने की अनुमति नहीं है. सिर्फ अधीक्षक साहब ही मीडिया से बात कर सकते हैं."

(नोट: इस रिपोर्ट पर अगर आगे अधिकारी या विभाग का बयान आता है तो हम उसे भी जरूर प्रकाशित करेंगे)