बिहार में प्रचंड बहुमत से एनडीए की सरकार बनने के बाद अलग-अलग क्षेत्रों में सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है. इसी क्रम में हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में हुई कैबिनेट बैठक में बिहार को शिक्षा और शोध के क्षेत्र में नई दिशा देने वाला एक अहम फैसला लिया गया है. लंबे समय से जर्जर और करीब 45-50 साल से बंद पड़े पुराने पावर हाउस को अब आधुनिक ऊर्जा संग्रहालय (पावर म्यूजियम) के रूप में विकसित किया जाएगा.
छात्र, शोधार्थी, बुजुर्ग और युवा होंगे लाभान्वित
इस पहल की जानकारी सामने आते ही करबिगहिया सहित राजधानी के आसपास के इलाकों में उत्साह देखा गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि बंद पड़ी इस ऐतिहासिक संरचना को म्यूजियम में बदलने से न केवल पटना, बल्कि पूरे राज्य के छात्र, शोधार्थी, बुजुर्ग और युवा लाभान्वित होंगे. उनका मानना है कि यह कदम शिक्षा, शोध, विरासत संरक्षण और पर्यटन, चारों क्षेत्रों में बिहार की गति को और तेज करेगा.
1930 में पावर हाउस का शुरू हुआ था निर्माण
बताया जाता है कि 1930 में राजधानी पटना में बिजली उत्पादन की शुरुआत को देखते हुए इस पावर हाउस का निर्माण शुरू हुआ था. हालांकि करबिगहिया, जक्कनपुर, कंकड़बाग, न्यू मार्केट और चिरैयाटांड़ सहित आसपास के इलाकों में बढ़ती आबादी और विस्तार के कारण 1934 में इसके संचालन पर रोक लगा दी गई. उसके बाद से यह पावर हाउस बंद पड़ा रहा. वर्ष 2019 में इस ऐतिहासिक परिसर को ऊर्जा संग्रहालय में बदलने के प्रस्ताव को औपचारिक मंजूरी मिली.
बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड को जिम्मेदारी
पेसू के महाप्रबंधक दिलीप सिंह ने बताया कि पावर म्यूजियम के निर्माण की जिम्मेदारी बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड को सौंपी गई है. इस परियोजना को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए एक विशेष सिविल विंग का गठन भी किया गया है. अनुमान है कि आगामी दो से तीन वर्षों में इस ऊर्जा संग्रहालय का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा.
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