बिहार में बारिश के चलते गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. उत्तर बिहार के जिलों में भले राहत है लेकिन दक्षिण बिहार के कुछ जिलों में बाढ़ की स्थिति बन गई है. गंगा को छोड़ दें तो उत्तर बिहार की मुख्य नदियां कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक अभी खतरे के निशान से नीचे हैं. दक्षिण बिहार में सोन, दरधा और पुनपुन खतरे के निशान से ऊपर है. 

गंगा नदी बक्सर से लेकर मुंगेर तक खतरे के निशान से करीब ढाई फीट अधिक बह रही है. सोमवार (04 अगस्त, 2025) की सुबह छह बजे के रिकॉर्ड के अनुसार, पटना के गांधी घाट पर पानी खतरे के निशान से 70 सेंटीमीटर अधिक पाया गया. गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, वैशाली, मुंगेर, लखीसराय और भागलपुर जिले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. निचले इलाके डूबने लगे हैं. 

अतिरिक्त गोताखोरों की तैनाती

गंगा के बढ़ते जलस्तर को देख पटना के डीएम त्यागराजन एसएम ने संबंधित पदाधिकारियों को बाढ़ एवं जलजमाव से निपटने के लिए अलर्ट रहने को कहा है. तटबंधों की नियमित निगरानी करने एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने सहित सरकार की ओर से निर्धारित मानकों को पूरा करने का निर्देश दिया है. जिले के सभी घाटों पर एसडीआरएफ की दो टीम के अलावा अतिरिक्त गोताखोरों की तैनाती की गई है.

अन्य जिलों की बात करें तो भोजपुर और बक्सर में कई जगहों पर कटाव की स्थिति बन रही है. मुंगेर और भागलपुर की बात करें तो गंगा अभी खतरे के निशान से नीचे है. हालांकि जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है. 

नदी खतरे का निशान अभी कितना
सोन नदी (रोहतास) 108.2 मीटर 101.50 मीटर
कोईलवर 55.52 मीटर 52.58 मीटर
पुनपुन नदी (औरंगाबाद) 97.5 मीटर 94.52 मीटर
पुनपुन नदी (पटना) 50.60 मीटर 50.98 मीटर

(आंकड़े आज सोमवार सुबह 6 बजे के हैं)

बारिश से इन इलाकों को मिली राहत

दूसरी ओर कोसी नदी काफी स्थिर है. बाढ़ की कोई संभावना नहीं दिख रही है. कहा जाए तो कोसी और मिथिलांचल के सभी इलाकों में तीन दिनों से वर्षा से थोड़ी राहत मिली है. यहां पर से पहले सूखे की स्थिति बनी हुई थी.