पटना: सूबे के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने एक बार फिर विपक्ष को जेईई-नीट की परिक्षा स्थगित करने की मांग को लेकर किए गए बवाल की वजह से घेरा है. डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने ट्वीट कर विपक्ष पर तंज कसते हुए लिखा, "अगर दो बार टल चुकी जेईई-नीट परीक्षा को फिर रद्द किया जाता, तो अगले साल इतनी ही सीटों पर दोगुने परीक्षार्थी होते और ज्यादा युवाओं को दाखिले से वंचित होना पड़ता. कम पढ़े-लिखे आरजेडी-कांग्रेस के युवराज तो अपनी राजनीति चमकाने के लिए मेधावी छात्रों का करियर चौपट करने पर उतारू थे, लेकिन केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के कड़े फैसलों ने युवाओं को बचा लिया."


शिक्षा-परीक्षा की गुणवत्ता पर कोई नरमी नहीं


उन्होंने लिखा, "चरवाहा विद्यालय खोलने की मानसिकता के विपरीत एनडीए सरकार ने छात्रों को अच्छे पैकेज वाली नौकरी के योग्य बनाने के लिए शिक्षा-परीक्षा की गुणवत्ता पर कोई नरमी नहीं दिखाई. छात्रों का एक कीमती साल बचाने के लिए कोरोना काल में भी जेईई-नीट की पूरी तैयारी की गई. सुरक्षा-सुविधा का ख्याल रखा गया, बस और ट्रेन की व्यवस्था करायी गई. जेईई में बिहार के केंद्रों पर 80 फीसद तक उपस्थिति उन दलों पर करारा तमाचा था, जो परीक्षा टालने के लिए तिकड़म में लगे थे."


विपक्ष को छात्रों का नहीं मिला समर्थन


सुशील मोदी ने लिखा, "विपक्ष जेईई-नीट का विरोध कर लाखों छात्रों का एक सत्र बर्बाद करना चाहता था. वे सुप्रीम कोर्ट गए, तो परीक्षा के विरुद्ध दो बार उनकी याचिका खारिज हुई. जब इस मुद्दे पर आरजेडी-कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन किए, तो उन्हें छात्रों का समर्थन नहीं मिला."


एनडीए सरकार ने शिक्षा पर दिया जोर


उन्होंने लिखा, "नवंबर 2005 में लालू-राबड़ी शासन को उखाड़ फेकने के बाद पहली बार बिहार में जो एनडीए सरकार बनी, उसने ढांचागत विकास, कृषि रोडमैप और शिक्षा पर सबसे ज्यादा जोर दिया. दो चरणों में 3.5 लाख स्कूली शिक्षकों की नियुक्ति और आईआईटी, निफ्ट, बीआईटी-मेसरा जैसे तकनीकी शिक्षा संस्थानों के कैम्पस पटना में खुले. एनडीए है, तो मेधा का सम्मान है, लाठी में तेल पिलाने वालों का नहीं."