मिशन 2024 की तैयारी में लगे नीतीश कुमार 5 जनवरी यानी आज से समाधान यात्रा निकाल रहे हैं. सीएम नीतीश की यह यात्रा 18 जिलों से होकर गुजरेगी, जिसमें 18 सालों में किए गए कामकाज का फीडबैक लेंगे. नीतीश की इस यात्रा को जेडीयू में जान फूंकने के तौर पर भी देखा जा रहा है. 

यात्रा के जरिए नीतीश पहले भी ऐसा कर चुके हैं. फरवरी 2005 के चुनाव में बहुमत नहीं होने की वजह से राबड़ी देवी की सत्ता पलटने में नीतीश जब नाकामयाब हो गए थे, उस वक्त उन्होंने न्याय यात्रा निकाली थी. यह यात्रा सुपरहिट रही और अक्टूबर 2005 में नीतीश मुख्यमंत्री रहे.

यात्रा के जरिए सियासी जमीन मजबूत करने की नीतीश कुमार की स्ट्रैटजी पुरानी है. नीतीश पिछले 18 सालों में 13 यात्राएं निकाल चुके हैं. हालांकि, 11 यात्राओं का धरातल पर कोई विशेष असर नहीं हुआ.

नीतीश क्यों निकाल रहे समाधान यात्रा, 3 वजह...

1. 2024 से पहले जेडीयू को मजबूत करने की कोशिश- अक्टूबर 2005 के मुकाबले नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू काफी कमजोर हो गई है. 2005 के चुनाव में जेडीयू को 88 सीटें मिली थी, जबकि उसका वोट पर्सेंट 20.46 फीसदी था. वर्तमान में बिहार विधानसभा में जेडीयू के सिर्फ 44 विधायक हैं. वोट पर्सेंट भी 15 फीसदी के आसपास पहुंच चुका है. ऐसे में जेडीयू को फिर से मजबूत करने की कोशिश नीतीश कर रहे हैं. 

2. गठबंधन के कार्यकर्ताओं के बीच कॉर्डिनेशन- महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के बाद ही नीतीश ने ऐलान किया था कि सभी पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच कॉर्डिनेशन का काम किया जाएगा. कुढ़नी उपचुनाव में हार के बाद नीतीश की कोशिश अब सभी पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच कॉर्डिनेशन करना है, जिससे 2024 के चुनाव में वोटों का ट्रांसफर आसानी से हो. 

3. कितना बदला बिहार, देखेंगे- नीतीश कुमार ने यात्रा को लेकर कहा कि बड़ा मकसद है कामकाज की मॉनिटरिंग. इस यात्रा के जरिए पिछले 18 सालों में किए गए कामकाज को देखेंगे. जो काम बाकी है, उसे पूरा करेंगे. बिहार में क्या बदलाव आया और क्या नहीं, इस पर भी हमारा फोकस रहेगा.

समाधान यात्रा पर सवाल भी,  2 बयान पढ़िए.

1. प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार- इस यात्रा का जनता से कोई सरोकार नहीं है. मुझे तो जितने लोग मिल रहे हैं वो बता रहे हैं कि नीतीश कुमार के आने से पहले प्रसाशन द्वारा लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है कि क्या बोलना है, क्या नहीं बोलना है.

नीतीश कुमार को चुनौती देता हूं कि अगर हिम्मत है तो अपने पसंद के ही किसी एक गांव में सरकारी अमले के साथ भी पैदल चलकर दिखा दें. नीतीश कुमार समय रहते रिटायर हो जाएं, इसी में उनकी भलाई है.

2. सुशील मोदी, बीजेपी सांसद- नीतीश कुमार इसलिए यात्रा पर निकल रहे हैं कि उन्हें तुरंत कुर्सी न छोड़नी पड़े. वे किसी न किसी बहाने 2025 तक तेजस्वी यादव की ताजपोशी टालते रहेंगे. 

18 साल में 13 यात्राएं, सिर्फ 2 हिट1. 12 जुलाई, 2005 को नीतीश कुमार ने न्याय यात्रा निकाली. इस यात्रा के बाद बीजेपी ने गठबंधन से नीतीश को सीएम पद का चेहरा घोषित किया. अक्टूबर 2005 के चुनाव में बीजेपी और नीतीश गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला.

2. 9 जनवरी 2009 को लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने विकास यात्रा की शुरुआत की. नीतीश को इस यात्रा का फायदा मिला और बिहार में एनडीए गठबंधन को लोकसभा में ज्यादा सीटें मिली. 

3. लोकसभा चुनाव में बेहतरीन परफॉर्मेंस के बाद नीतीश कुमार 17 जून 2009 से धन्यवाद यात्रा पर निकले. इसमें जनता का आभार जताया गया.

4. 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश ने क्षेत्र में रहकर लोगों की बात सुनने के लिए 25 दिसंबर 2009 को प्रवास यात्रा की शुरुआत की.

5. प्रवास यात्रा खत्म होने के बाद काम के आधार पर वोट मांगने के लिए नीतीश कुमार 28 अप्रैल 2010 से पूरे बिहार में विश्वास यात्रा पर निकले. इस यात्रा का भी लाभ नीतीश को मिला और पार्टी को विधानसभा चुनाव में 115 सीटों पर जीत मिली. 

6. नीतीश कुमार 2011 के अंत में सेवा यात्रा की शुरुआत की. इस यात्रा के जरिए उन्होंने बिहार में लोगों की मिजाज जानने की कोशिश की.

7. 19 सितंबर 2012 को विशेष राज्य की दर्जा की मांग को लेकर अधिकार यात्रा की शुरुआत की गई थी. 

8. लोकसभा चुनाव से पहले मार्च 2014 को नीतीश ने संकल्प यात्रा की शुरुआत की थी. इस यात्रा का पार्टी को कोई लाभ नहीं मिला.

9. लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद नीतीश फिर यात्रा पर निकले. उन्होंने 13 नवंबर 2014 को संपर्क यात्रा की शुरुआत की. 

10. 2015 में सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार ने 7 निश्चय को लागू किया. इसी का फीडबैक लेने के लिए उन्होंने निश्चय यात्रा निकाली. 

11. राजद से गठबंधन तोड़ने के बाद नीतीश फिर से जनता की मिजाज जानने के लिए यात्रा पर निकले. उन्होंने इस दौरान समीक्षा यात्रा की शुरुआत की. 

12. 03 दिसंबर 2019 को नीतीश कुमार जल-जीवन-हरियाली यात्रा पर निकले. 

13. शराबबंदी, दहेजबंदी जैसे कानून बनाने के बाद 22 दिसंबर 2021 को नीतीश समाज सुधार यात्रा पर निकले. हालांकि, बिहार में इस यात्रा का ज्यादा असर नहीं हुआ. 

(Source- PTI)

नीतीश मिशन-24 के लिए 3 स्ट्रैटजी पर काम करे रहे हैं...

1. 500 सीटों पर सीधी टक्कर देने की तैयारी-  नीतीश कुमार कांग्रेस समेत 13 पार्टियों को साथ लाने की तैयारी कर रहे हैं. इस प्रयास के तहत अब तक उन्होंने शरद पवार, ओम प्रकाश चौटाला, अरविंद केजरीवाल, एचडी कुमारस्वामी, सीताराम येचुरी और के चंद्रशेखर राव से मिल चुके हैं. इन 13 पार्टियों का लोकसभा के करीब 500 सीटों पर मजबूत दावेदारी हैं. 

अगर ये सभी पार्टियां एक साथ मिलकर चुनाव लड़ती है, तो 2024 में बीजेपी को 500 सीटों पर कड़ी टक्कर दी जा सकती है. 

2. ग्रामीण इलाकों की सीटों का समीकरण- जिन 500 सीटों पर कड़ी टक्कर देने की तैयारी नीतीश कर रहे हैं, उनमें लोकसभा की 353 सीटें ग्रामीण इलाके की हैं. 2009 के चुनाव में इन 353 सीटों में से बीजेपी को सिर्फ 77 पर जीत मिली थी. 2014 में यह ग्राफ बढ़कर 190 और 2019 में 207 हो गया. 

ग्रामीण इलाकों में बीजेपी की इस जीत की वजह से कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. 2009 में 353 में से 123 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी. वहीं 2019 में यह आंकड़ा 26 पर पहुंच गई. क्षेत्रिय पार्टियों के सीटों में ज्यादा बदलाव नहीं आया. 2009 में ग्रामीण अंचल की 153 सीटों पर क्षेत्रीय पार्टियों ने जीत दर्ज की. 2019 में यह आंकड़ा 120 के आसपास रहा.

3. बिहार-झारखंड में 54 सीटें, यहां मजबूत गठबंधन बनाने की कोशिश- बिहार और झारखंड में लोकसभा की कुल 54 सीटें हैं. नीतीश ने बिहार में 6 दलों के साथ मजबूत गठबंधन बनाया है. झारखंड में 4 दलों के साथ गठबंधन कर हेमंत सोरेन सत्ता में काबिज है. 

दोनों राज्यों में बीजेपी सत्ता से बाहर हैं. इन राज्यों में गठबंधन फॉर्मूला पहले भी हिट रहा है. ऐसे में फिर से मजबूत गठबंधन की रणनीति अपनाकर दिल्ली फतह करने की तैयारी में हैं.