पटनाः कोरोना महामारी से बिहार को कैसे बाहर निकाला जाए इसको लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार समीक्षा कर रहे हैं. साथ ही पटना की सड़कों पर निकलकर स्थिति का भी जायजा ले रहे हैं. सोमवार को उन्होंने अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की. इस दौरान कोरोना की गाइडलाइन का पालन कराने पर विशेष जोर दिया गया.


मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के इलाज में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए. मरीजों की जरूरतों के लिए हमेशा तत्पर रहें. ऑक्सीजन की आपूर्ति और दवा की उपलब्धता हर हाल में पूरा कराएं. अनावश्यक रूप से बाहर निकलने वाले लोगों पर नजर रखें ताकि कोरोना वायरस को फैलने से रोका जा सके. मंगलवार को अब फिर से क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की बैठक बुलाई गई है. इसमें लॉकडाउन लगाने पर फैसला लिया जा सकता है और 15 दिनों का कंप्लीट लॉकडाउन लग सकता है. आवश्यक सेवाओं को छूट रहेगी. हालांकि एबीपी को जानकारी मिली है उसके अनुसार 15 मई तक ही लॉकडाउन लगाया जा सकता है.


दरअसल, बिहार में कोरोना संक्रमण के चलते बिगड़ते हालात पर पटना हाईकोर्ट ने भी तराज जताया है और राज्य सरकार से पूछा है कि बिहार में लॉकडाउन लगाने की क्या तैयारी है. सरकार को मंगलवार को जवाब देने के लिए अदालत की ओर से कहा गया है. न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह और न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से सरकार के सिस्टम को फ्लॉप बताया.


गौरतलब हो कि बढ़ते संक्रमण के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को फिर एक बार नगर भ्रमण किया. सीएम का काफिला एक अन्ने मार्ग से निकला और बेली रोड होते हुए सबसे पहले रूपसपुर पहुंचा. यहां नगर भ्रमण के बाद मुख्यमंत्री दानापुर टेंपो स्टैंड पहुंचे. उन्हों कई इलाकों का गाड़ी में बैठकर उन्होंने शहर का जायजा लिया. इसके पहले भी नीतीश कुमार कुछ दिनों पहले जायजा लेने के लिए निकले थे.


आईएमए के साथ कई संगठन कर रहे लॉकडाउन की मांग


बिहार में लॉकडाउन लगाने के संबंध में मुख्यमंत्री को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अवगत भी करा दिया है. आईएमए का कहना है कि स्वास्थ्य सेवा के कई विशेषज्ञों से बातचीत की गई है. इसमें यह सामने आया है कि बिहार में लॉकडाउन लगाना जरूरी है. संभावना इस बात की भी है कि मुख्यमंत्री का आज नगर भ्रमण इसी मामले को लेकर है.


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