बिहार विधानसभा चुनाव रिजल्ट ने कई समीकरण बदल दिए हैं. इतिहास में पहली बार है जब बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. वहीं दूसरी बार हो रहा है जब बीजेपी 91 सीटें जीतती हुई दिखाई दे रही है. दूसरे स्थान पर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू है और 82 सीटों पर आगे है.

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ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अब मुख्यमंत्री कौन होगा? एनडीए ने चुनाव के समय में कई मौकों पर यह जरूर कहा कि एनडीए नीतीश कुमार और पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रहा है, लेकिन आधिकारिक तौर पर नीतीश कुमार को सीएम घोषित नहीं किया.

अब बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है तो सवाल है कि क्या बीजेपी अपना मुख्यमंत्री चेहरा आगे करेगी. सीटों का समीकरण देखें तो जेडीयू के बिना भी बीजेपी सरकार बना सकती है.

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एनडीए में शामिल चिराग पासवान की एलजेपी आर की 21, जीतन राम मांझी की हम की पांच और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम की चार सीटों को जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा 121 का हो जाता है. यानि नीतीश कुमार की सियासी बार्गेन पावर कम हुई है. हालांकि यहां ध्यान रखना जरूरी है कि केंद्र में मोदी सरकार को नीतीश कुमार का समर्थन हासिल है.

बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 सीटों की जरूरत होती है. एक सीट बीएसपी के खाते में जाती हुई दिख रही है. ये आंकड़े दो बजे तक के रुझानों के मुताबिक हैं. दिलचस्प है कि चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की नीतीश कुमार के साथ पुरानी अदावत भी रही है.

बीजेपी आखिरी बार 2010 के विधानसभा चुनाव में 91 सीटें जीती थी. तब जेडीयू 115 सीटें जीती थी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बने. इसके बाद बीजेपी 2015 में 53 और 2020 में 74 सीटें जीती. 2020 के चुनाव में आरजेडी 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. वहीं दूसरे स्थान पर बीजेपी थी और तीसरे नंबर पर जेडीयू चली गई.