पटना: बीपीएससी की ओर से शिक्षक बहाली के लिए एक लाख 70 हजार से अधिक पदों के लिए ली गई परीक्षा में इस बार दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी भी शामिल हुए थे. अब रिजल्ट आने के बाद बवाल भी हो रहा है. नीतीश सरकार पर शिक्षक भर्ती घोटाले का आरोप लग रहा है तो वहीं दूसरी ओर दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों के हुए चयन पर भी बवाल छिड़ा है. नीतीश सरकार (Nitish Government) ने शिक्षक बहाली में दूसरे 14 राज्यों के अभ्यर्थियों को नौकरी दी है.

केरल, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली एवं प. बंगाल के अभ्यर्थियों का चयन हुआ है. दरअसल इस बहाली में रिजल्ट के बाद राज्य में एक लाख 20 हजार 336 शिक्षक बने हैं. इसमें करीब 14 हजार यानी 12 प्रतिशत शिक्षक बाहर के राज्य के हैं. शिक्षक भर्ती परीक्षा कुल उत्तीर्ण अभ्यर्थियों में 88 प्रतिशत बिहार से हैं.

प्राथमिक शिक्षक के रूप में हुआ है इनका चयन

बताया गया है कि कक्षा नौवीं से 12वीं क्लास तक के शिक्षक बनने के लिए एसटीईटी (माध्यमिक-उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा) आवश्यक था, जिसका आयोजन सिर्फ बिहार में ही होता है. इसके चलते नौवीं से 12वीं में दूसरे राज्यों के शिक्षकों का चयन नहीं हुआ है. प्राथमिक शिक्षक के रूप में कुल 72 हजार चयनित हुए हैं, इनमें 14 हजार दूसरे राज्यों के हैं.

जीतन राम मांझी ने उठाए सवाल

इस पूरे मामले पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम प्रमुख जीतन राम मांझी लगातार नीतीश सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. मंगलवार (31 अक्टूबर) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा- "दुनिया को ज्ञान का प्रकाश देने वाले "गया" जिले फतेहपुर में सरकार को बिहारी अभ्यर्थी ही नहीं मिले इसलिए यहां के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक "इम्पोर्ट" करके लाए गए हैं. आपसे अच्छे तो बड़े भाई थे, जमीन लेकर ही सही पर नौकरी तो बिहारियों को दी, आप भी नौकरी यहीं के लोगों को "बेच" देतें."

यह भी पढ़ें- Lok Sabha Elections 2024: यूपी में कुछ सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ सकती है नीतीश की पार्टी, JDU नेता का बड़ा बयान