कैमूर: नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (National Family Health Survey) की ताजा रिपोर्ट को लेकर बिहार में सियासी बवाल मचा है. बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद जमा खान ने सर्वे रिपोर्ट पर ही सवाल खड़ा कर दिया. उन्होंने कहा कि सर्वे रिपोर्ट फालतू है या फिर कहीं से मैनेज्ड है. रविवार को कैमूर पहुंचे जमा खान ने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि बिहार में पहले की स्थिति क्या थी और अब कितना विकास हुआ है यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है. सभी ने इसको देखा है.


गौरतलब है कि बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त रखने का दावा भले ही नीतीश सरकार की तरफ से किया जाता हो, लेकिन सरकार के इन दावों की हकीकत नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की ताजा रिपोर्ट ने खोलकर रख दी है. इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में 80 फीसद लोग ऐसे हैं जिनको सरकारी हेल्थ सिस्टम पर भरोसा नहीं है. सर्वे बताता है कि राज्य में बीमार पड़ने के बाद 80 फीसद लोग सरकारी अस्पताल में नहीं जाते है. इसकी मुख्य वजह है बिहार में सरकारी स्वास्थ्य सेवा का बेहतर नहीं होना है.


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सरकारी हेल्थ सिस्टम में उदासीनता के पैमाने पर बिहार सबसे ऊपर


सर्वे के अनुसार, लोगों का मानना है कि सरकारी अस्पतालों में सही तरीके से देखभाल नहीं होती है और इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. सरकारी हेल्थ सिस्टम को लेकर उदासीनता के पैमाने पर बिहार सबसे ऊपर है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के पांचवें राउंड की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है.


केंद्र के हर रिपोर्ट में बिहार फिसड्डी


बिहार में सरकारी हेल्थ सिस्टम को लेकर आम लोगों में जो उदासीनता है वह नीतीश सरकार के दावों की हकीकत बयां करता है. ऐसा पहली बार नहीं है कि बिहार में आधारभूत संरचना शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर केंद्र के स्तर पर कोई रिपोर्ट आई हो. पहले भी सर्वे रिपोर्ट में बिहार सरकार के दावों की पोल खुलती रही है, लेकिन ताजा सर्वे रिपोर्ट ने बिहार में स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए जा रहे काम और उसके दावों पर सवाल खड़ा कर दिया है.


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