पटनाः बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सरकार लाख दावे कर ले लेकिन स्थिति इतनी लचर हो चुकी है कि इंसानियत भी शर्मा उठे. इसकी बानगी बिहार की राजधानी पटना के आईजीआईएमएस में शुक्रवार को देखने को मिली. मुजफ्फरपुर के आंख अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद कई लोगों की आंखें खराब हो गईं. इन्हीं में से दो मरीजों को मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच से रेफर किया गया था. मरीज के परिजन एंबुलेंस से लेकर आईजीआईएमएस तो आ गए लेकिन यहां उन्हें अस्पताल में बेड नहीं मिला. इतना ही नहीं बल्कि जब वे बाहर बैठे तो गार्ड ने उन्हें भगा दिया. यह सब होता रहा और आईजीआईएमएस में ही स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Managl Pandey) एक कार्यक्रम में व्यस्त रहे. इन मरीजों और इनके परिजनों को सुनने वाला कोई नहीं था.

  


समस्तीपुर के रहने वाले हैं दोनों मरीज


वहीं, दूसरी ओर मुजफ्फरपुर से ही आए मोतियाबिंद के अन्य नौ मरीजों को बेड मिल गया. इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि राज्य सरकार ने अपनी ओर से सूची बनाकर भेजी थी और उनके बेहतर इलाज के पटना बुलाया गया है. इन्हें तो बेड मिल गया, लेकिन दो मरीज जिसे एसकेएमसीएच ने रेफर किया उसे किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिली. दोनों मरीज गीता देवी और भूपेंद्र कुमार सिंह समस्तीपुर के रहने वाले हैं.      


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स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल के उदासीन रवैये और गलत इलाज से कई लोगों की आंख की रोशनी चली गई. इसके बाद सरकार हरकत में आई और उन्हें पटना के इंदिरा गांधी संस्थान पटना लाया गया है. 


बता दें कि मुजफ्फरपुर के आंख अस्पताल में 22 नवंबर को 65 लोगों ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया था. ऑपरेशन में लापरवाही की वजह से 27 लोगों की आंख खराब हो गई. 15 लोगों की तो आंख निकाली जा चुकी है. हालांकि इस मामले में अब कार्रवाई शुरू हो गई है. बीते गुरुवार को मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. विनय शर्मा ने ब्रह्मपुरा थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है. इस मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधन, ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर और ऑपरेशन में शामिल कर्मचारियों समेत सभी लोगों के खिलाफ ब्रह्मपुरा थाने में मामला दर्ज करवाया गया है. सिविल सर्जन ने कहा कि इस मामले में कार्रवाई के लिए जांच रिपोर्ट पुलिस को दी गई है.


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