Mahashivratri 2025: दुनियाभर के शिव भक्त महाशिवरात्रि का बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस साल महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी. महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है. बिहार में भी महाशिवरात्रि पर श्रद्धालु भगवान शिव के रंग में रंगे नजर आते हैं. प्रदेश के कुछ खास मंदिर हैं जहां इस दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन करने के लिए आते हैं.

बाबा कोटेश्वर नाथ धाम मंदिर के बारे में जानें

बाबा कोटेश्वर नाथ धाम मंदिर गया और जहानाबाद जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में है. ये मंदिर अति प्राचीन होने की वजह से काफी प्रसिद्ध है. इस धाम का गर्भगृह लाल पत्थर के टुकड़ों से बना है. दूर-दूर से लोग मंदिर की संरचना को देखते आते हैं.

एक दंतकथा के अनुसार, बाणासुर की बेटी उषा भगवान श्रीकृष्ण के पोते से अनिरुद्ध से प्रेम करती थी लेकिन बाणासुर श्रीकृष्ण को अपना शत्रु मानता था. उषा ने अनिरुद्ध को पाने के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया था. पूजा के दौरान भगवान शिव प्रकट प्रकट हुए उन्होंने उषा को इच्छा पूरी करने के लिए 1008 शिवलिंग की स्थापना करने के लिए कहा. इसके बाद उषा ने 1008 लघु शिवलिंग में समाहित एक बड़े आकार के शिवलिंग की स्थापना की. इसके बाद उषा की अनिरुद्ध से शादी भी हुई. उसी समय से यहां पूजा करने की परंपरा शुरू हुई तभी से कोटेश्वर नाथ धाम मंदिर का शिवलिंग विशेष आकर्षण का केंद्र है.

वैसे तो साल भर इस मंदिर में लोग दर्शन करने के लिए आते हैं लेकिन महाशिवरात्रि पर श्रद्धालु यहां दूर-दूर पहुंचते हैं और उनकी मनोकामना भी पूरी होती है. सावन के महीने में यहां पूजा-पाठ का विशेष महत्व है.

लखीसराय का अशोक धाम भी है चर्चित

अशोक धाम मंदिर बिहार के लखीसराय में है. ये मंदिर 8वीं सदी में बनाया गया था. इसे बिहार का देवघर भी कहा जाता है. बताया जाता है कि सात अप्रैल 1977 में एक चरवाहा गाय चरा रहा था तब उसे एक शिवलिंग मिला था. अशोक नाम के चरवाहे ने इस विशालकाय शिवलिंग की खोज की थी. अशोक रोजाना गाय चराने जाता था एक दिन गाय चराते समय जब वो गिल्ली-डंडा खेल रहा था तब गिल्ली की तलाश करते हुए उसे शिवलिंग मिला. यह शिवलिंग धरती के अंदर था. बाद में यहां मंदिर का निर्माण करवाया गया. शिवलिंग की खोज करने वाले चरवाहे का नाम अशोक था इसलिए इसे अशोक धाम मंदिर के नाम से जाना जाता है. हर साल शिवरात्रि पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

बाबा गरीबनाथ मंदिर में भी लगती है भीड़

बाबा गरीबनाथ मंदिर बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में है. शिवरात्रि पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां जलाभिषेक करने के लिए पहुंचते हैं. इस मंदिर का इतिहास सौ साल से भी पुराना है. मंदिर के पुजारी अभिषेक पाठक ने बताया कि यहां एक बरगद का पेड़ हुआ था, जिसकी कटाई के दौरान बाबा स्वयं प्रकट हुए थे. तभी से यहां पूजा शुरू हो गई. धीरे-धीरे मंदिर का जीर्णोद्धार होता गया.  

महंत अभिषेक पाठक के अनुसार यहां मंदिर में एक बार एक शिवभक्त सोया हुआ था. उसने बेटी की शादी तो तय कर दी थी लेकिन खर्च न जुटा पाने की वजह से परेशान था. जब वो मंदिर में सोया हुआ था तभी उसे सपने में भगवान शिव दिखे और उन्होंने कहा कि जाओ तुम्हारी बेटी की शादी हो जाएगी.

मंदिर से शिवभक्त जब घर पहुंचा तो उसकी बेटी की शादी के सारे सामान घर में आ चुके थे. जब उसने अपनी पत्नी से पूछा कि ये सारा सामान कहां से आया तो जवाब मिला कि आपने ही तो भिजवाया है. उसी समय से गरीब नाथ के नाम से पूजा की जाती है. कहते हैं कि यहां जो भी भक्त श्रद्धा से मन्नत मांगता है उसे इच्छा जरूरी पूरी होती है.

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