Madhepura Lok Sabha Seat: जेडीयू की ओर से आज (24 मार्च लोकसभा चुनाव के लिए सभी 16 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी गई है. इनमें एक मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से पार्टी ने दूसरी बार दिनेश चंद्र यादव को मौका दिया है. दिनेश चंद्र यादव 2019 में आरजेडी के उम्मीदवार शरद यादव को करीब 3 लाख वोटो से पटखनी देकर विजयी हुए थे. इस कारण पार्टी ने उन पर दोबारा भरोसा किया है. 2019 में दिनेश चंद्र यादव को 6,24,334 वोट मिले थे जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी लगातार चार बार मधेपुरा से सांसद रहने वाले शरद यादव को उनसे आधा 3,22,807 वोट मिले थे, जबकि उस क्षेत्र के रहे बाहुबली नेता पप्पू यादव को मात्र  97,631 वोट ही प्राप्त हुए थे.


बीपी मंडल बने थे पहले सांसद


मधेपुरा लोकसभा सीट पर कई दिग्गजों ने भाग्य आजमाया है. यह लोकसभा क्षेत्र 1967 में बना था. उस वक्त पहली बार मंडल आयोग के अध्यक्ष रहे बीपी मंडल जो मधेपुरा के मुरहो गांव के रहने वाले थे उस क्षेत्र सांसद बने थे. इसके बाद 1977 में बीपी मंडल ही दूसरी बार विजयी हुए. सबसे बड़ी बात है कि इस क्षेत्र में 1967 से लेकर अब तक जितने भी सांसद हुए हैं सभी यादव जाति के ही रहे है. यहां यादव छोड़कर कोई दूसरी जाति के सांसद नहीं बने हैं. चाहे वह किसी पार्टी से हो. यह अलग बात है कि इस क्षेत्र पर सभी पार्टियों का कब्जा रहा है. तीन बार कांग्रेस पार्टी भी इस क्षेत्र से चुनाव जीती है, लेकिन 1989 के बाद कांग्रेस की इस क्षेत्र में वापसी नहीं हुई. 


लालू यादव भी लड़ चुके हैं चुनाव


इसके बाद मध्य प्रदेश के रहने वाले दिवंगत शरद यादव इस क्षेत्र से चार बार सांसद रह चुके हैं. 1991, 1996, 1999 और 2009 में वे सांसद रहे हैं जिसमें दो बार जनता दल और दो बार जनता जेडीयू से शरद यादव सांसद चुने गए हैं. इस क्षेत्र से आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी दो बार 1998 में और 2004 में सांसद रह चुके हैं. हालांकि 1999 में लालू प्रसाद यादव को इस क्षेत्र के लोगों ने हरा दिया था और शरद यादव की जीत हुई थी. बाहुबली नेता पप्पू यादव भी इस क्षेत्र में 2014 में आरजेड़ी के टिकट पर सांसद बने थे, लेकिन 2019 में उन्हें आरजेडी ने मौका नहीं दिया तो अपनी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़े और तीसरे नंबर पर रह गए.


यादव का ही रहा है दबदबा


मधेपुरा लोकसभा सीट पर चाहे जीतने वाले सांसद हो या प्रतिद्वंदी सभी यादव रहे ही रहे हैं. मधेपुरा को लेकर एक स्लोगन बनी हुई है 'रोम पोप का, मधेपुरा गोप का' यानी कहा जाए तो इस क्षेत्र पर यादव का ही दबदबा है. जातीय समीकरण की बात करें तो इस लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र है और सभी यादव बहुल इलाका है. पूरे लोकसभा क्षेत्र में लगभग साढ़े तीन लाख यादव वोटर हैं, जबकि दूसरे नंबर पर 2 लाख के करीब मुस्लिम वोटर भी हैं. लालू प्रसाद यादव का अगर एमवाय समीकरण इस क्षेत्र में बरकरार रहे तो आरजेडी कभी यहां से चुनाव नहीं हारती, लेकिन ऐसा नहीं दिखता है. 


जानें जातिगत समीकरण


मधेपुरा सीट पर यादव का वोट सभी पार्टियों में जाता है. यही कारण है कि जेडीयू यहां पर चार बार जीत दर्ज की है. इस लोकसभा क्षेत्र में यादव और मुस्लिम के अलावे तीसरा नंबर पर ब्राह्मण पौने दो लाख हैं जबकि सवा लाख के करीब राजपूत वोटर भी हैं. दलित मुसहर कोइरी-कुर्मी या कहा जाए तो अति पिछड़ा, पिछड़ा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का वोट 4 लाख से अधिक है यही कारण है कि जेडीयू को इस क्षेत्र से सफलता मिलती है.


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