पटना: आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने तेजस्वी यादव को पार्टी का कमान सौंपने की अपील की है. मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर तिवारी ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से यह मांग की है. उन्होंने कहा कि बिहार में आज की पीढ़ी उन पुराने मुहावरों और कहावतों को नहीं समझती है जिसके महारथी लालू यादव हैं, लेकिन इस युवा आबादी ने तेजस्वी यादव को स्वीकार किया है.


शिवानंद तिवारी ने कहा कि जब लालू यादव ने अपने राजनीतिक वारिस के रूप में तेजस्वी यादव को चुना तो राष्ट्रीय जनता दल ने संपूर्ण हृदय से इसको स्वीकार किया. यह जरूरी भी था. इसलिए भी कि बिहार देश का सबसे युवा प्रदेश है. बिहार की पूरी आबादी में 58 फीसद आबादी 25 बरस से नीचे वालों की है. इसके सपनों और आकांक्षाओं को लालू यादव सहित हम पुरानी पीढ़ी के लोग नहीं समझते हैं, वक्त बदला है. यह आबादी गांवों के उन पुराने मुहावरों और कहावतों को नहीं समझती है जिसके महारथी लालू जी हैं. लेकिन, इस युवा आबादी ने तेजस्वी यादव को स्वीकार किया है. इसका आकलन दो चुनाव के परिणामों से समझा जा सकता है. 2010 का विधानसभा चुनाव आरजेडी ने लालू यादव के नेतृत्व में लड़ा था. उस चुनाव में आरजेडी के महज 22 विधायक जीत पाए थे.


2020 विस चुनाव में सबसे बड़ा दल बनकर उभरा आरजेडी


आरजेडी नेता ने आगे कहा कि इसके बाद विधानसभा का दूसरा चुनाव 2015 में हुआ. उस चुनाव में लालू और नीतीश कुमार एक साथ हो गए थे. महागठबंधन की सरकार बन गई थी. उस चुनाव नतीजे से लालू यादव और नीतीश कुमार के संयुक्त ताकत का आकलन किया जा सकता है, लेकिन स्वतंत्र रूप से आरजेडी की ताकत का आकलन का वह नतीजा आधार नहीं हो सकता है. इसलिए उस चुनाव के परिणाम को यहां नजीर के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. लेकिन, उसके बाद 2020 के चुनाव में गठबंधन बनाने से लेकर नेतृत्व तक सब तेजस्वी यादव ने किया था. उस चुनाव में आरजेडी विधानसभा में न सिर्फ सबसे बड़े दल के रूप में उभरा, बल्कि प्राप्त वोटों के प्रतिशत के हिसाब से भी सबसे बड़ा दल बना.


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तेजस्वी के कारण 2020  चुनाव में सांप्रदायिकता को मुद्दा नहीं बना पाई बीजेपी


शिवानंद तिवारी ने कहा कि वह चुनाव एक मामले में अनूठा था. देश के राजनीतिक क्षितिज पर नरेंद्र मोदी के उभार के बाद बिहार के विधानसभा का 2020 का चुनाव ऐसा पहला चुनाव था जिस के चुनाव अभियान में बीजेपी सांप्रदायिकता को मुद्दा नहीं बना पाई. बल्कि तेजस्वी यादव ने रोजगार के सवाल को 2020 के चुनाव का प्रमुख मुद्दा बना दिया और नरेंद्र मोदी सहित तमाम पार्टियों को उसी मुद्दे पर चुनाव लड़ने के लिए बाध्य किया. युवा तेजस्वी की यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी. इस प्रकार वे देश की नजर में आ गए.


राज्यसभा कौन जाएगा तेजस्वी को करने दें तय


आरजेडी नेता ने कहा कि इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि लालू यादव तेजस्वी के हाथों में दल का संपूर्ण दायित्व सौंप देंगे. विधान परिषद हो या राज्य सभा, इन सदनों में कौन जाएगा यह तय करने की छूट तेजस्वी को देंगे ताकि वे भविष्य के लिये अपनी टीम का निर्माण कर सकें, लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है. इसलिए एक वरीय साथी होने के नाते मैं सलाह देना चाहूंगा के राज्यसभा के इसी चुनाव में वे तेजस्वी के हाथ में दल की संपूर्ण कमान सौंप दें.


पार्टी के वरिष्ठ नेता ने लालू पर अनदेखी करने का लगाया आरोप


लालू यादव को स्मरण होगा कि पूर्व में भी अनेक अवसरों पर एक से अधिक मर्तबा मैंने उनको सलाह दी होगी, लेकिन उन्होंने उनकी अनदेखी की. उसके फलस्वरूप उनका तो नुकसान हुआ ही, सामाजिक न्याय आंदोलन को भी नुकसान पहुंचा है. मैं उम्मीद करता हूं कि लालू यादव मेरी सलाह का आदर करेंगे.


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