बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के चुनावी माहौल में राजद के नेता तेजस्वी यादव द्वारा हाल ही में किए गए 'हर घर में सरकारी नौकरी' देने के वादे ने राजनीतिक बहस को और तेज कर दिया है. इस वादे पर JDU नेता नीरज कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.

Continues below advertisement

नीरज कुमार ने कहा कि 20 वर्षों से लालू परिवार सत्ता से बाहर है, तो क्या उनकी बुद्धि भी कारावास में कैद हो गई है. क्या राज्य सरकार के पास संविधान के तहत यह अधिकार है कि वह हर घर में सरकारी नौकरी दे सके. इसका मतलब यह है कि संविधान से तेजस्वी यादव का कोई लेना-देना नहीं है.

अज्ञानता और भ्रम फैलाने काम कर रहे वादे- नीरज कुमार

JDU नेता नीरज कुमार ने आगे सवाल उठाया कि बिहार में 2 करोड़ 76 लाख 68 हजार 930 परिवार हैं, जो जातिगत सर्वे में शामिल हैं. नीरज कुमार ने कहा कि यदि एक परिवार में चार सदस्य शैक्षणिक योग्यता रखते हैं, तो क्या सभी को सरकारी नौकरी मिलेगी और यह कैसे संभव है. यह वादे केवल अज्ञानता और भ्रम फैलाने के लिए दिए जा रहे हैं.

Continues below advertisement

अज्ञानता का तांडव मचा रहा विपक्ष- नीरज कुमार

नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव द्वारा विशेषज्ञ की राय लेने के दावे पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि आपने कहा कि विशेषज्ञ की राय ली है, लेकिन कौन है यह विशेषज्ञ जो अज्ञानता का तांडव मचा रहा है. नौकरी के अवसर केवल सरकारी क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं, बल्कि निजी क्षेत्र और गैर सरकारी क्षेत्र में भी रोजगार मिलते हैं. इस प्रकार का वादा सिर्फ चुनावी प्रचार लगता है.

जनता को समझनी होगी वास्तविकता

नीरज कुमार ने राजद के पुराने फैसलों की ओर इशारा करते हुए कहा कि आपने पहले भी जब नौकरी के बदले जमीन ली थी, तो उसे लौटा दिया. अब ऐसा वादा करना अज्ञानता और भ्रम की राजनीति है. जनता को वास्तविकता समझनी होगी और किसी भी बड़े वादे को केवल चुनावी लालच के तौर पर नहीं लेना चाहिए.

चुनाव में रोजगार और सरकारी नौकरी है प्रमुख मुद्दा

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव का यह वादा चुनावी रणनीति का हिस्सा है, जिससे ग्रामीण और युवा मतदाताओं में उम्मीद और आकर्षण पैदा किया जा सके. वहीं, विपक्षी दल इसे असंभव और अव्यवहारिक वादा बताते हुए इसका राजनीतिक विरोध कर रहे हैं.

इस विवाद ने बिहार के आगामी चुनाव में रोजगार और सरकारी नौकरियों को एक प्रमुख मुद्दा बना दिया है. अब देखना यह है कि जनता इस वादे को किस नजरिए से देखती है और इसका चुनावी नतीजों पर क्या असर पड़ता है.