पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद आरजेडी आज (सोमवार)समीक्षा बैठक करने जा रही है. तेजस्वी यादव के नेतृत्व में होने वाली आरजेडी की इस समीक्षा बैठक के पहले बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जेडीयू के विधान पार्षद नीरज कुमार ने इस बैठक में समीक्षात्मक प्रश्नों के सूची जारी की और कहा कि आरजेडी के इस मंथन के लिए इन सवालों पर खाश तौर पर विचार करने की जरुरत है.



आरजेडी की समीक्षात्मक बैठक के लिए जेडीयू के सवाल



जेडीयू नेता नीरज कुमार ने प्रश्नों की जो लंबी फेहरिस्त बनाई है उनमें लगभग 15 सवाल शामिल है जेडीयू नेता की माने तो आरजेडी को इन तमाम बिंदुओं पर मंथन करना चाहिए जिनमें पहला सवाल है जनता इन्हें लगातार यूं ही नहीं नकार रही टिकट वितरण में आपराधिक प्रवृत्ति के कुछ और लोगों को टिकट देना चाहिए था?



दूसरा सवाल की जेल में बंद कुछ और कुख्यात गुंडों को और अपराधियों को टिकट देना चाहिए था?



तीसरा सवाल और किन-किन सजायाफ्ता हत्यारों और बलात्कारियों के परिजनों को टिकट देने में चूक हो गई?



चौथा सवाल जनता समझ गई थी बेरोजगारी के लिए डिग्री नहीं क्रिमिनल रिकॉर्ड देखा जाएगा?



पांचवा सवाल खुद तो दे व्यापार के आरोपी को निजी सहायक बनाया है टिकट देने में भी आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों और उनके परिजनों को तरजीह दी?



छठा सवाल परिवार और पार्टी के लिए लालू वाद से ज्यादा घातक है तेजस्वी फोबिया?



सातवां सवाल यह अपने माता-पिता के कार्यकाल में हुए जनता को सत्तापोषित सुनियोजित दमन के लिए बारंबार कान पकड़कर माफी मांगते रहे पर जनता इनकी कुटिलता से वाकिफ थी और इनके झांसे में ना आनी थी और ना आई लालू राबड़ी राज में जो अनर्थ हुआ जनता उसे इस जन्म में नहीं भूलने वाली?



आठवां सवाल जनता सोशल मीडिया पर प्रचार नहीं नेता का विरासत और परिवार भी देखती है जनता ने तो बहुमत से पहले ही समीक्षा कर दिया था चुनाव नतीजा चुनाव में जनता ने दिखा दिया?



नौवां सवाल चुनाव में कई वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर तेजस्वी को चेहरा बनाना महंगा पड़ा अकेले सत्ता की मलाई का सपना देखने के चक्कर में कई सहयोगियों से मक्कारी भारी पड़ी?



दसवां सवाल अब प्रश्न उठता है कि क्या वे इस बात की समीक्षा कर सार्वजनिक करेंगे कि चुनाव में टिकट बांटने में कितने पैसे मिले और उस गैर कानूनी तरीके से अर्जित धन को कहां एडजस्ट किया?



गयारवां सवाल की यूं ही गरीबों के स्वघोषित रहनुमा होने का दावा करने वाले लालू परिवार की घोषित पारिवारिक संपत्ति की 34 करोड़ से अधिक है तरुण कुमार यादव जैसे फर्जी नामों से पता नहीं इन्होंने कहां-कहां संपत्ति की श्रृंखला खड़ी कर रखी है फिर भी इन लोगों को संपत्ति की ऐसी बुक है कि वसूली को कोई भी जायज नाजायज हाथ से जाने नहीं देते?



बारवां सवाल टिकट बिक्री में रेट तो बंपर मिला मगर टिकट खरीदने वाले जनता को नहीं खरीद पाए?
तेरहवां सवाल क्या वह इस बात की समीक्षा करेंगे कि वैश्विक कोरोना महामारी के दौर में बिहार छोड़कर क्यों भाग गए?
चौदहवां सवाल क्या दागी तेजस्वी बताएंगे की समीक्षा का आदेश और मुख्य बिंदु होटवार जेल से प्राप्त हुआ बेउर जेल से प्राप्त हुआ या तिहाड़ से प्राप्त हुआ?



पन्द्रहवां सवाल अब क्या जरूरत है दागी तेजस्वी यादव को अपने हार की समीक्षा की जबकि जनता ने इनके नेतृत्व को लगातार नकारा है?