जन सुराज पार्टी के प्रवक्ता पवन वर्मा ने कहा कि अब वोट चोरी का मुद्दा अप्रासंगिक हो चुका है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को वैध पहचान पत्र मान लिया है. एएनआई से बातचीत में उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी कभी भी विशेष सूची पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के खिलाफ नहीं थी, बल्कि केवल समय को लेकर चिंता जताई थी.

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जन सुराज पार्टी के प्रवक्ता पवन वर्मा ने कहा कि हमने सिर्फ यह कहा था कि बिहार में लगभग 8 करोड़ मतदाता हैं और अगर जून में यह प्रक्रिया शुरू होगी तो समय कम पड़ेगा और अव्यवस्था पैदा हो सकती है. इसे फरवरी में शुरू किया जा सकता था, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने आधार को मान्यता दे दी तो वोट चोरी का सवाल ही खत्म हो गया.

पदयात्रा की भीड़ वोटर में नहीं हुई तब्दील- पवन वर्मा

जानकारी के अनुसार, हाल ही में आए बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों पर प्रतिक्रिया देते हुए पवन वर्मा ने कहा कि पार्टी को इन नतीजों से झटका लगा है. उन्होंने बताया कि पदयात्रा के दौरान लोगों की भारी भीड़ साथ आती थी, लेकिन वह समर्थन वोटों में तब्दील नहीं हो पाया. वर्मा ने कहा कि हम सब स्तब्ध हैं. जिन मुद्दों को हम उठा रहे थे, वही मुद्दे बाद में चुनावी बहस के केंद्र बन गए. जनता की समस्याएं और युवा मुद्दे हमारे अभियान का मुख्य आधार थे.

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पीएम मोदी के संदेश को जन सुराज की लाइन से जोड़ा

उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मतदाताओं से बच्चों के भविष्य के लिए वोट डालने की अपील, जन सुराज पार्टी के नारे से मेल खाती है. वर्मा के अनुसार, पीएम मोदी ने भी वही कहा जो जन सुराज लगातार कह रहा था. चुनाव नजदीक आते ही हमारे मुद्दे ही चुनावी विमर्श बन गए.

आगे की रणनीति प्रशांत किशोर करेंगे तय 

पवन वर्मा ने बताया कि पार्टी की विचारधारा और संघर्ष जारी रहेगा और भविष्य की रणनीति पार्टी संस्थापक प्रशांत किशोर द्वारा तय की जाएगी. उन्होंने कहा कि नए दलों के लिए पुरानी और स्थापित पार्टियों से मुकाबला आसान नहीं होता है. हमारी नीयत साफ है, सोच सही है और मेहनत में कमी नहीं है. परिणाम उम्मीद के अनुसार नहीं आए, लेकिन हमारी लड़ाई जारी रहेगी.

चुनाव में जन सुराज को बड़ा झटका

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जन सुराज पार्टी एक भी सीट जीतने में विफल रही, जबकि उसने लगभग सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. दूसरी ओर, एनडीए ने जबरदस्त जीत दर्ज की. बीजेपी 89, जेडीयू 85, एलजेपी (RV) 19 और अन्य सहयोगियों ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया. गठबंधन ने कुल 202 सीटें जीतीं, जबकि महागठबंधन मात्र 35 सीटों पर सिमट गया.

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