नीतीश कुमार ने सोमवार (17 नवंबर) को सीएम पद से इस्तीफा नहीं दिया. इस पर खिचड़ी पकनी शुरू हो गई कि वो डरे हुए हैं और बीजेपी अंदर ही अंदर कुछ बड़ा कर रही है. सांसद पप्पू यादव ने लगे हाथ नीतीश को महागठबंधन के बिहाफ़ पर घर वापसी का ऑफर भी दे डाला. पप्पू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार की कृपा समझिए कि बीजेपी 89 पर रुक गई. नहीं तो इनका टारगेट 105 तक का टारगेट था. दो आदमी मिलकर सरकार बनाना चाहते थे. 

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पप्पू यादव के बयान के बाद उठे ये सवाल

पप्पू यादव ने जो कहा उस पर महागठबंधन की तरफ से कोई बयान नहीं आया. लेकिन सवाल हवा में तैर गए. क्या नीतीश के मन में बीजेपी को लेकर संशय पैदा हुआ है? नीतीश इस्तीफ़ा देने गये थे तो फैसला बदल क्यों लिया? विधानसभा भंग करने की तारीख 19 नवंबर क्यों दी? JDU विधायक दल की आज होने वाली बैठक टल क्यों गई?

NDA के तीन दलों ने नीतीश के चेहरे पर लगाई मुहर

NDA के 5 दलों में से 3 के टॉप लीडर बोल चुके हैं कि नीतीश ही CM होंगे. चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के नाम पर मुहर लगा चुके हैं. यहां तक कि बीजेपी के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने भी कहा कि नीतीश ही CM होंगे इसे लेकर कहीं कोई भ्रम नहीं है. 

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लेकिन इसके बाद भी CM का सुपर सस्पेंस इसलिये नहीं रुक रहा, क्योंकि बीजेपी के बिहार के नेता तो बोल रहे हैं लेकिन दिल्ली वाले नेता मौन हैं. कल PM आवास पर तीनों की 3 घंटे बैठक हुई थी लेकिन ख़बर बाहर नहीं आई। पटना में नीतीश के घर भी NDA नेताओं का आना-जाना बढ़ गया है, ख़बर वहां से भी नहीं निकल रही.

नीतीश कुमार के ही CM होने में क्यों कन्फ्यूज़न नहीं?

NDA ने बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा, इसलिए वो ही CM के पहले दावेदार हैं। बीजेपी 89 सीटें लाकर सबसे बड़ी पार्टी बनी है, लेकिन भूल नहीं सकती कि JDU भी 43 से सीधे 85 सीटें लाई है. परिस्थिति ये है कि बिहार की सियासी धुरी नीतीश कुमार ही हैं. सबसे स्वीकार्य नेता हैं. NDA को मिले जनादेश में 'सुशासन बाबू' की छवि की अहम भूमिका है. नीतीश की सीटें बीजेपी से सिर्फ़ 4 कम हैं. JDU दोगुनी ताक़त से लौटी है. केंद्र में NDA की सरकार जेडीयू के 12 सांसदों के समर्थन पर टिकी हुई है. 

नीतीश कुमार की 43 सीटों की थी. फिर भी 74 सीटों वाली बीजेपी ने CM पद नीतीश के लिए छोड़ दिया. तो क्या अब बीजेपी अपने CM की जिद करने की स्थिति में वो है? बिहार हिंदी पट्टी का इकलौता राज्य है जहां बीजेपी 35 साल से अपने CM का सपना देख रही है. लेकिन हर बार नीतीश उसके लिये ज़रूरी भी बन जाते हैं और मजबूरी भी.

बीजेपी के पास रास्ते क्या हैं? 

  • नीतीश कुमार को ही CM बनाए, बदले में ताकतवर मंत्रालय ले ले.
  • प्रतीक्षा करे जब तक नीतीश संन्यास का एलान नहीं कर देते.
  • नीतीश के संन्यास के बाद ढाई-ढाई साल CM का फॉर्मूला बने.
  • 2029 तक सब्र रखे, फिर अकेले लड़कर पूर्ण बहुमत जुटाए.