बिहार का प्रमुख शहर गया (Gaya) को ज्ञान एवं मोक्ष की भूमि कहा जाता है. हर साल लाखों की संख्या में लोग अपने पितरों के मुक्ति और मोक्ष के कामना के लिए गया में पिंडदान करते हैं. भारत में गया ही एक ऐसा स्थान है जहां पूरे साल श्राद्ध किया जाता है. यहां साल के हर समय भारत समेत पूरी दुनिया से लोग अपने पितरों के मुक्ति के लिए श्राद्ध करने आते हैं. पर अश्विन कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक महालया पक्ष होता है. इस समय पिंडदान करना सबसे उत्तम माना गया है. इस वक्त किया गया पिंडदान से पितरों की मोक्ष की कामना पूरी होती है.


गया का इतिहास


गया को विष्णु नगरी भी कहा जाता है. गया की भूमि को मोक्ष की धरती भी कहा जाता है. खुद भगवान राम ने भी गया की महिमा का वर्णन किया है. गया कि धरती पर खुद माता सीता ने फ्लगु नदीं के तट पर बालू का पिंड राजा दशरथ को दिया था. मान्यता है कि उनके इस पिंड के बाद ही राजा दशरथ को स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी. गया के पुरोहित अनिल उपाध्याय ने गया का इतिहास बताते हुए कहा कि किवंदंतियों के अनुसार गयासुर नाम के एक राक्षस ने कठिन तपस्या ब्रह्माजी से वरदान मांगा था.


गयासुर का वरदान


गयासुर ने परमपिता ब्रह्मा से वरदान मांगा कि उसका शरीर देवताओं के तरह पवित्र हो जाए और हर व्यक्ति उसके दर्शन मातर् से ही पाप मुक्त हो जाएं. इसके बाद लोग बिना भय के पाप करने लगे और गयासुर के दर्शन मात्र से पाप मुक्त होने लगे. गयासुर के इस वरदान के कारण स्वर्ग में भी काफी भीड़ बढ़ गई. फिर परेशान देवताओं ने गयासुर से यज्ञ करने के लिए पवित्र स्थ्ल मांगी. गयासुर ने देवताओं को उसके शरीर पर यज्ञ करने को कहा और लेट गया. गयासुर जब लेटा तो वह पांच कोस में फैल गया इसी पांच कोस में गया फैला हुआ है. गयासुर के मन से लोगों को पाप से मुक्त करने का इच्छा कभी खत्म नहीं हुई  और उसने देवताओं से यह वरदान मांगा कि यह स्थान लोगों को मोक्ष देने के लिए बना रहे.


 उसने देवाताओं से यह वरदान मांगा कि जो भई लोग यहां पिंडदान करें उन्हे तुरंत मुक्ति मिल जाए. खुद भगवान नारायन ने अपने दाहिने पैर से गयासुर के ऊपर रखा है. जिस कारण यहां का प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर में लोग अलग-अलग स्थानों से दर्शन और तर्पण करने आते हैं.


गया में हैं 48 वेदियां


गया के पुरोहित अनिल उपाध्याय बताते हैं कि पहले गया में अलग-अलग नामों के कुल 360 वेदियां थी, जहां पिंडदान किया जाता था. अब इनमें से 48 वेदियां रह गई है जहां पिंडदान किया जाता है. हर साल पिंडददान के लिए देश विदेश से लाखों लोग गया पहुंचते हैं और अपने पितरों के मोक्ष की कामना करते हैं. कहा यहा भी जाता है कि जब तक पितरों का गया जी में श्राद्ध न हो तबतक उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है.


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