Bihar Voter List: बिहार में इस साल (2025) होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट की खास तरीके से जांच शुरू कर दी है. इसके लिए 2003 की पुरानी वोटर लिस्ट को आयोग जल्द ही अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा. इस लिस्ट में जिन 4.96 करोड़ लोगों के नाम पहले से हैं, उन्हें अब दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी. वे सिर्फ उस लिस्ट का हिस्सा लगाकर अपना नाम फिर से जुड़वाने के लिए फॉर्म भर सकते हैं.

चुनाव आयोग ने बताया कि जिन लोगों का नाम 2003 की वोटर लिस्ट में है उन्हें अब जन्म तारीख या जन्म स्थान का कोई भी कागज देने की जरूरत नहीं है. अगर वे 2003 वाली लिस्ट का हिस्सा साथ में देंगे तो उनका नाम आसानी से वोटर लिस्ट में जुड़ जाएगा. जो लोग 2003 की लिस्ट में नहीं थे, यानी करीब 3 करोड़ लोग, उन्हें अपनी पहचान और जन्म से जुड़े दस्तावेज देने होंगे. आयोग ने इसके लिए 11 तरह के कागज तय किए हैं जिनमें से कोई एक देना होगा. अगर किसी के माता-पिता का नाम 2003 की लिस्ट में है तो ऐसे लोगों को सिर्फ अपनी जन्म तारीख या जन्म स्थान से जुड़ा कागज देना होगा. माता-पिता का सबूत नहीं देना होगा. विपक्ष ने उठाए सवाल, आयोग ने दी सफाई

कई विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि इससे कुछ लोगों को जानबूझकर वोटर लिस्ट से हटाया जा सकता है. इस पर आयोग ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं ह, बल्कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि कोई भी सही वोटर छूटे नहीं और कोई गलत नाम लिस्ट में न जुड़ जाए.

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बीते रविवार (29 जून, 2025) को कहा कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पात्र नागरिक मतदाता सूची से वंचित न रहे और कोई भी अपात्र व्यक्ति इसका हिस्सा न हो. चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि कुछ पार्टियां संविधान के अनुच्छेद 326 का विरोध कर रही हैं, जो साफ कहता है कि सिर्फ भारतीय नागरिक और सही उम्र वाले लोग ही वोटर बन सकते हैं.

बीएलए की मदद से होगी सही जांच

चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों से कहा है कि वे अपने कार्यकर्ताओं को बूथ लेवल एजेंट (BLA) बनाकर हर पोलिंग बूथ पर तैनात करें. ये लोग वोटर लिस्ट की जांच में मदद करेंगे. अब तक करीब 1.55 लाख BLA की नियुक्ति हो चुकी है.

हर विधानसभा क्षेत्र में एक अधिकारी होगा, जिसे ईआरओ (Electoral Registration Officer) कहा जाता है. उसकी जिम्मेदारी होगी कि वह यह देखे कि सही लोगों के ही नाम लिस्ट में जुड़े और कोई गलत नाम न जुड़ पाए. बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. अभी राज्य में करीब 7.89 करोड़ वोटर हैं. चुनाव आयोग चाहता है कि वोटर लिस्ट एकदम साफ और सही हो ताकि चुनाव निष्पक्ष तरीके से हो सके. चुनाव आयोग का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया वोटर लिस्ट को साफ और सही करने के लिए है. इससे उन लोगों को मदद मिलेगी, जिनका नाम पहले से लिस्ट में है, और नए वोटरों के लिए भी नियम साफ हैं. अब यह देखना होगा कि सभी लोग समय पर अपने दस्तावेज देकर नाम जुड़वाते हैं या नहीं.