बिहार में पारंपरिक शवदाह पद्धति से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने और शवदाह स्थलों पर आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने घोषणा की कि राज्य सरकार ने कोयम्बटूर स्थित ईशा फाउंडेशन के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. इस समझौते के तहत बिहार के छह शहरों (पटना, गया, छपरा, सहरसा, भागलपुर और बेगूसराय ) में गैस (एलपीजी) आधारित शवदाह गृह स्थापित किए जाएंगे.

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इस परियोजना के लिए राज्य सरकार ने प्रत्येक शहर में एक-एक एकड़ भूमि सिर्फ 1 रुपये की टोकन राशि पर 33 वर्षों की लीज पर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के समक्ष 25 सितंबर को नगर विकास एवं आवास विभाग और ईशा फाउंडेशन के प्रतिनिधियों के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.

छह प्रमुख शहरों में बनेंगे गैस आधारित शवदाह गृह 

सम्राट चौधरी ने बताया कि वर्तमान में अधिकांश नगर निकायों द्वारा संचालित शवदाह स्थलों पर परंपरागत रूप से लकड़ी से अंतिम संस्कार होता है. इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है और बड़ी मात्रा में लकड़ी की खपत से वन सम्पदा पर दबाव पड़ता है. कुछ स्थानों पर विद्युत शवदाह गृह भी बने हैं, लेकिन उनके रखरखाव और शव यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाओं की कमी गंभीर समस्या बनी रहती है.

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उन्होंने कहा कि इसी पृष्ठभूमि में राज्य मंत्रिपरिषद ने 9 सितंबर 2025 को हुई बैठक में निर्णय लिया कि बिहार के छह प्रमुख शहरों में गैस आधारित शवदाह गृह बनाने और उनके संचालन की जिम्मेदारी ईशा फाउंडेशन को दी जाएगी.

तमिलनाडु में करीब 15 गैस आधारित शवदाह गृह हो चुके हैं स्थापित

ईशा फाउंडेशन इससे पहले तमिलनाडु में करीब 15 गैस आधारित शवदाह गृह स्थापित कर चुका है, जो पर्यावरण अनुकूल तकनीक और आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं. संस्था योग, ध्यान और सामाजिक कार्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यात है.

सम्राट चौधरी ने कहा कि इस पहल से न केवल वायु प्रदूषण और वन सम्पदा के अंधाधुंध दोहन पर रोक लगेगी, बल्कि शवदाह स्थलों पर स्वच्छता, बेहतर प्रबंधन और सम्मानजनक माहौल भी सुनिश्चित किया जा सकेगा. उन्होंने इसे नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की लोक कल्याणकारी सोच का हिस्सा बताया और कहा कि सरकार समाज के हर वर्ग के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है.