Cracks In Walls Of Mahabodhi Temple: गया का बोधगया की महाबोधी मंदिर वर्ल्ड हैरिटेज में शामिल है. महाबोधी मंदिर में कई दरार आने लगीं हैं. यहां हर साल देश–विदेश से लाखों की संख्या में विदेशी श्रद्धालु और बौद्ध भिक्षु आते है. बौद्ध भिक्षुओं के लिए यह जगह काफी विशेष महत्व रखता है. बौद्ध धर्म मानने वाले अपने जीवन काल में एक बार महाबोधी मंदिर स्थित गर्भ गृह में भगवान बुद्ध का दर्शन करने अवश्य आते है.
प्लास्टर के गिरने से दिख रहा लोहे का सरिया
दरअसल इसी स्थान पर भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, लेकिन अब इसी विश्वदाय धरोहर में दरारें आने लगी है और मंदिर की देख-रेख करने वाले इससे बेखबर हैं. एक स्थान या दो स्थानों पर नहीं बल्कि महाबोधी मंदिर के कई स्थानों पर दरारें पड़ गई हैं. मंदिर में लगे प्लास्टर के गिर जाने से लोहे का सरिया दिख रहा है.
बोधगया मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के सचिव डॉ महाश्वेता महारथी ने बताया कि मंदिर वर्ल्ड हैरिटेज में शामिल है. मंदिर में दरारें दिखना यह हमारे लिए चिंतनीय विषय है. इसके महत्व को देखते हुए इसकी छवि धूमिल न हो यह प्रयास किया जा रहा है. मरम्मती कराई जाएगी. वर्ष 2014 में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग नई दिल्ली को एक प्रोजेक्ट भेजा गया था, जो अभी तक लंबित है.
उसमें बताया गया कि मंदिर की रेलिंग जो सीमेंट की बनाई गई है. इसकी पहले की आकृति पत्थर की थी, जिसे म्यूजियम में रखी गई है. दोबारा स्थापित करने के लिए भेजा गया है, जो लंबित है. मंदिर की दरारों को प्लास्टर ऑफ पेरिस जिसे पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग रिपेयर करती है इसके लिए बीटीएमसी सक्षम नहीं है. ध्यान आकर्षित कराया गया है.
पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग अपनी पुरानी पद्धति से प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाती है. मंदिर की दीवारों में जो दरारें आई है जो सरिया दिख रहा है उसकी फोटो भेजी गई है. एक लंबे अरसे के बाद दरारें आना स्वाभाविक हैं. प्लास्टर गिर रहे हैं. पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के सुपरिटेंडेंट को पत्र भेजा गया है. उनकी देखरेख में बीटीएमसी की ओर से इसे रिपेयरिंग किया जाएगा.
बौद्ध भिक्षुओं के भगवान बुद्ध की आस्था का प्रमुख केंद्र
बोधगया मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष डीएम होते हैं. वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देख रेख में मंदिर का कार्य किया जाता है. वहीं मंदिर के बाहरी हिस्से को बीटीएमसी की देखरेख में कार्य किया जाता है. बौद्ध भिक्षुओं के भगवान बुद्ध की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं, लेकिन बीटीएमसी के इस ढीले रवैए से इसकी छवि धूमिल हो रही है.
महाबोधी मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी भंते सत्यानंद ने बीटीएमसी को लापरवाह बताते हुए कहा कि अगर मंदिर की यही स्थिति रही तो किसी दिन कोई बड़ी घटना होने से इंकार नहीं किया जा सकता है. इसके पूर्व भी मरम्मती की गई थी, लेकिन सिर्फ जो दरारें थीं उसी को ढंक दिया गया था.
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