बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बेहद खराब रहा. महागठबंधन मात्र 35 सीटों पर सिमट गया, जबकि सीपीआईएमएल जिसने 2020 में 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी, इस बार सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई. पटना के पालीगंज से विधायक संदीप सौरभ ने इसकी बड़ी वजह SIR और सरकारी खजाने के दुरुपयोग को बताया है.

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SIR में गड़बड़ी का आरोप

एबीपी न्यूज़ से बातचीत में संदीप सौरभ ने कहा कि चुनाव से पहले बिहार में जिस तरह SIR हुआ, उसमें भारी अनियमितताएं दिखीं. उन्होंने आरोप लगाया कि जितने लोगों का नाम हटाया गया, उससे ज्यादा नाम सत्ता पक्ष के नेताओं ने जोड़वा दिए.

उन्होंने कहा, “किसका नाम जुड़ा, इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है. बाहरी लोगों का जमकर नाम जोड़ा गया.” विधायक का आरोप है कि SIR की प्रक्रिया का इस्तेमाल चुनावी फायदे के लिए किया गया, जिसकी वजह से कई जगहों पर वोट का संतुलन बदल गया.

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संदीप सौरभ ने लालू-तेजस्वी और महागठबंधन के हार के पीछे सबसे बड़ा कारण सरकारी खजाने के दुरुपयोग को बताया. उन्होंने स्पष्ट कहा कि चुनाव से ठीक पहले महिलाओं के खाते में 10,000 रुपये भेजे गए. उन्होंने कहा, “आदर्श आचार संहिता लगने के बाद भी पैसे भेजे गए. चुनाव आयोग ने कोई संज्ञान नहीं लिया.”

उनका कहना है कि यह सीधा चुनावी लाभ लेने के इरादे से किया गया कदम था, जिसका परिणाम चुनाव में साफ दिखा.

NDA नेताओं द्वारा पैसे बांटने का आरोप

संदीप सौरभ ने एक और बड़ा दावा किया कि एनडीए नेताओं ने चुनाव के दौरान खुले तौर पर पैसे बांटे. उन्होंने कहा कि विपक्ष ने इसकी शिकायत भी की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. विधायक ने कहा- “हम लोग शिकायत किए, लेकिन विफल रहे. चुनाव आयोग ने ध्यान ही नहीं दिया.”

उनके मुताबिक एनडीए को खुद भी उम्मीद नहीं थी कि इतनी सीटें मिलेंगी, लेकिन सरकारी मशीनरी के सहारे चुनाव का पूरा माहौल बदल दिया गया.

सीट बंटवारे को भी बताया कारण

उन्होंने यह भी कहा कि महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे में आखिरी समय तक उलझन रही. उन्होंने कहा, “अंतिम समय तक असमंजस रहा कि कौन सीट किसके पास जाएगी. इसका असर कई इलाकों में पड़ा.” हालांकि उनका मानना है कि सीट बंटवारे का असर सीमित रहा, सबसे बड़ा कारक SIR और सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग ही रहा.

तेजस्वी यादव से जुड़े विवादों पर उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन माना कि इसका थोड़ा असर जरूर हुआ. उन्होंने कहा, “यह उनका पार्टी का अंदरूनी मामला है, लेकिन कुछ असर पड़ा होगा. इस पर ज्यादा नहीं कह सकते.”

सीपीआईएमएल विधायक संदीप सौरभ का कहना है कि यह चुनाव बिहार की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए एक संकेत है कि सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का असर कितना बड़ा हो सकता है. उन्होंने कहा कि महागठबंधन की हार सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि प्रशासनिक असंतुलन का परिणाम है.