Neeraj Kumar: बिहार चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने बड़ा दांव चला है, देश भर में जातीय गणना (Caste Census) कराने का निर्णय लिया गया है, क्योंकि महागठबंधन लगातार केंद्र सरकार से राष्ट्रीय स्तर पर जातीय गणना कराने की मांग कर रहा था. यह कहते हुए कि कमजोर वर्ग की वास्तविक संख्या कितनी है ये पता होना चाहिए. ताकि उनकी वास्तविक संख्या के आधार पर विकास योजनाएं बन सके और उनको उसका लाभ मिले. इसे फैसले के बाद जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार (Neeraj Kumar) ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.
'एक महत्वपूर्ण सामाजिक फैसला'
नीरज कुमार ने कहा कि केंद्र का जातीय गणना कराने का फैसला स्वागत योग्य कदम है. बिहार में एनडीए सरकार ने जातीय सर्वे का निर्णय लिया था, जो देश के लिए एक नजीर बना था. बदलते हुए समाज, उसके सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में हो रहे बदलाव को देखते हुए इस संबंध में जातीय गणना होगी तो कल्याणकारी नीतियों के क्रियान्वयन में एक नई पहल होगी. जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता ने कहा, "केंद्र सरकार को बधाई, पीएम मोदी के नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण सामाजिक फैसला लिया गया है.
नीतीश कुमार ने की थी केंद्र से मांग
बता दें केंद्र सरकार ने जातीय गणना कराने का निर्णय लिया है. ध्यान रहे कि कुछ वर्ष पहले नीतीश कुमार ने पीएम मोदी से मिलकर जातीय गणना कराने की मांग की थी, तब केंद्र सरकार ने नहीं कराई थी. उसके बाद बिहार सरकार ने खुद से अपना खर्च पर बिहार में जातीय सर्वे कराया और उसे प्रकाशित भी किया.
जाति आधारित सर्वे रिपोर्ट आने के बाद आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दी गई. आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों (उच्च जातियों) को दिए जाने वाले 10 प्रतिशत आरक्षण को मिलाकर बिहार में नौकरियों और दाखिलों में कोटा बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया.
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