बक्सर: पटना में 23 जून को विपक्षी एकता की बैठक होने वाली है लेकिन जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के बेटे संतोष मांझी (Santosh Manjhi) ने नीतीश कैबिनेट (Nitish Cabinet) से इस्तीफा देकर बिहार की सियासत को एक नई हवा दे दी है. जैसे ही मांझी की पार्टी महागठबंधन से अलग हुई तो जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने छोटे राजनीतिक दलों की तुलना दुकान से कर दी. इस बयान पर मांझी ने तो जवाब दिया ही साथ ही बुधवार (14 जून) को बक्सर में दीपांकर भट्टाचार्य ने भी बड़ा हमला बोला.


भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और ललन सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि जीतन राम मांझी और ललन सिंह के बीच क्या चल रहा है इससे हमारी पार्टी को कोई लेना देना नहीं है. जिस प्रकार से पटना में भारतीय जनता पार्टी के नेता जेपी नड्डा ने बयान दिया था कि एक ही पार्टी अगले 50 साल तक राज करेगी. यह लोकतंत्र में संभव नहीं है. दीपांकर भट्टाचार्य बक्सर में जिला स्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन में आए नेताओं को संबोधित कर रहे थे.


'किसी को छोटा समझना सही नहीं'


दीपांकर भट्टाचार्य ने बताया कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में यह कहना कि छोटे-छोटे दलों को अपनी दुकानें बंद कर लेनी चाहिए. केवल बड़े दल ही राज करेंगे यह कहीं से सही नहीं है. लोकतंत्र की खूबसूरती तभी है जब कई छोटे बड़े राजनीतिक दल होंगे. किसी को छोटा समझना कहीं से सही नहीं हैं.


इस मौके पर माले नेता और डुमरांव के विधायक अजीत कुशवाहा ने पीएम मोदी द्वारा सेंगोल की स्थापना किए जाने को लेकर विरोध जताया. बताया कि जिस दिन हिंदू राष्ट्र की स्थापना होगी उस दिन बाबा साहेब के कथन अनुसार राष्ट्र के लिए उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी.


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