पटना: छपरा में जहरीली शराब से मौत के बाद शराबबंदी (Liquor ban in Bihar) बिहार की राजनीति में सबसे बड़ा मुद्दा है. बिहार की राजनीति में ये मुद्दा काफी तूल पकड़ लिया है. इसको लेकर बीजेपी नीतीश सरकार (Nitish Kumar) पर जमकर हमला बोल रही है. बीजेपी से राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी (Sushil Modi) हर दिन शराबबंदी को लेकर कई सवाल खड़े कर रहे हैं. एक बार फिर उन्होंने इस मुद्दे पर नीतीश कुमार को आड़े हाथों लिया है. शराबबंदी लेकर उन्होंने नीतीश सरकार से सात सवालों का जवाब मांगा है.


सुशील मोदी ने पूछा सवाल


सुशील मोदी ने सरकार से पहला सवाल पूछा है कि उत्पाद एवं मद्यनिषेध कानून की धारा-34 के अन्तर्गत जहरीली या नकली शराब बेचने वालों को जब उम्र कैद की सजा का प्रावधान है, तब सरकार बताये कि छह साल में कितने लोगों को ऐसी सजा दिलायी गई? दूसरा सवाल पूछा है कि शराबबंदी कानून की धारा-42 के तहत जहरीली शराब बेचने वाले कितने लोगों से  मुआवजा वसूला गया? इस बाद उन्होंने तीसरा सवाल पूछा है कि शराब पीने के कारण जिन 3.5 लाख लोगों पर प्राथमिकी दर्ज हुई, उनमें से कितने लोगों को सरकार सजा दिला पाई और ऐसे मामले में कनविक्शन रेट क्या है?


नशामुक्ति केंद्र कितने सक्रिय हैं- सुशील मोदी


राज्यसभा सदस्य ने नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए चौथा सवाल पूछा कि हाईकोर्ट के आदेशानुसार सरकार जहरीली शराब पीने वालों का उपचार करने के लिए अब तक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसेड्योर ( एसओपी) क्यों नहीं बना पायी ? उनका पांचवां सवाल था कि शराब बनाने-बेचने और पीने वालों की जानकारी पाने के लिए जो टॉल-फ्री नंबर बिजली के पोल पर लिखवा कर सार्वजनिक किए गए थे, उन पर कितनी शिकायतें मिलीं और क्या कार्रवाई हुई ? इस तरह छठा सवाल सुशील मोदी ने पूछा कि शराबबंदी लागू करने के बाद राज्य भर में जो नशामुक्ति केंद्र खोले गए थे, उनमें से कितने सक्रिय हैं और ये कितने लोगों को नशे की आदत से मुक्त करा पाए? 


'सरकार को देना चाहिए जवाब'
वहीं, बीजेपी नेता ने अंतिम अपना सातवां सवाल सरकार से पूछा कि शराबखोरी के खिलाफ जो जागरूकता अभियान शुरू किया गया था, वह बंद क्यों हो गया? सरकार को ईमानदारी से इन सवालों का जवाब देना चाहिए ताकि शराबबंदी लागू करने में जो गलतियां हुईं, उन्हें सुधारा जा सके.


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