Bihar News: बिहार में चुनावी साल में आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर गरमाने लगा है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव आज रविवार को अपने कार्यकर्ताओं के साथ आरजेडी ऑफिस के सामने धरने पर बैठने वाले हैं. लेकिन उससे पहले धरने के पोस्टर पर राजनीति तेज हो गई है. दरअसल, धरने के बैनर-पोस्टर में लालू यादव, राबड़ी देवी,तेजस्वी यादव, मीसा भारती के अलावा पार्टी नेता जगदानंद सिंह और अब्दुल बारी सिद्दीकी की तस्वीर तो नजर आ रही है. लेकिन तेज प्रताप की तस्वीर नहीं है. जिसको लेकर बीजेपी ने सवाल खड़े किए हैं.
‘तेजस्वी को खतरा बड़े भाई तेजप्रताप से है’बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि चुनाव आते ही तेजस्वी को 65 % आरक्षण की याद आ गई. उनको सिर्फ अपने परिवार के लिए आरक्षण चाहिए. धरना के लिए मंच तैयार है. मंच पर पोस्टर लगा है जिसमें पूरे परिवार की तस्वीर है लेकिन बड़े भाई तेज प्रताप को पोस्टर में जगह नहीं दी गई. तेजस्वी को खतरा अपने परिवार में बड़े भाई तेजप्रताप से है. खतरे को किनारे कर तेजस्वी आरक्षण की बात कर रहे हैं. बिहार की जनता तेजस्वी के किसी बहकावे में नहीं आने वाली है.
‘आज के धरने से बीजेपी डर गई है’RJD के धरने के पोस्टर से तेज प्रताप के गायब होने पर बीजेपी ने सवाल खड़े किए तो आरजेडी ने करारा जवाब दिया है. RJD के मुख्य प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि बीजेपी के पोस्टरों से आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी क्यों गायब रहते हैं? आज के धरने से बीजेपी डर गई है इसलिए उल्टे सीधे मुद्दे उठा रही है. बिहार केंद्र सरकार आरक्षण चोर है. 16 पर्सेंट आरक्षण बिहार सरकार ने पिछड़े अतिपिछड़े दलितों आदिवासियों का चुराया है. बिहार में 65 पर्सेंट आरक्षण को फिर से लागू किया जाए. संविधान की नौवीं अनुसूची में केंद्र सरकार से डलवाया जाए. महागठबंधन सरकार में जातीय गणना हुई थी. उसके बाद आरक्षण का दायरा बढ़ा था. यह सब तेजस्वी यादव ने कराया था.
‘65% आरक्षण को फिर से लागू किया जाए’वहीं आरजेडी के धरने से पहले पार्टी प्रवक्ता एजाज अहमद की भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने पिछड़े अतिपिछड़े दलितों आदिवासियों का 16 प्रतिशत आरक्षण चुराया है. बिहार में 65 प्रतिशत आरक्षण को फिर से लागू किया जाए. विधानसभा से प्रस्ताव पारित हो. हमारी पार्टी समर्थन करेगी. पूरा महागठबंधन समर्थन करेगा और उसको संविधान की नौवीं अनुसूची में केंद्र सरकार से डलवाया जाए ताकि आगे चल के कोर्ट में मामला जाने पर कुछ नहीं हो. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि चुनावी साल में हम लोग आरक्षण का मुद्दा उठा रहे हैं. शुरू से ही पिछड़ा अति पिछड़ों दलित आदिवासियों को उनका हक दिलाने की लड़ाई हम लोग लड़ रहे हैं.
‘50 हजार से अधिक युवाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा’ आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि महागठबंधन सरकार में जातीय गणना हुई थी. उसके बाद आरक्षण का दायरा बढ़ा था. यह सब तेजस्वी यादव ने कराया था. मामला कोर्ट में गया व आरक्षण रद्द हो गया. सीएम नीतीश इसे केंद्र सरकार से संविधान की नौवीं अनुसूची में नहीं डलवा पाए थे. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार द्वारा बिहार में बढ़ाई गई 65% आरक्षण सीमा को रोक देने से अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा-अतिपिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को 16% आरक्षण का सीधा नुकसान हो रहा है, जिससे इन वर्गों के 50 हजार से अधिक युवाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है.
यह भी पढ़ें: Gopalganj: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के ‘हिंदू राष्ट्र’ के बयान पर कांग्रेस हमलावर, MLA अजीत शर्मा बोले- 'अभी नए-नए...'