बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की पहली उम्मीदवार सूची जल्द जारी होने वाली है. हालांकि, इससे पहले ही पटना की कुम्हरार सीट से बीजेपी विधायक अरुण सिन्हा ने चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया है. इस बीर सिटिंग विधायक अरुण कुमार सिन्हा कुम्हरार सीट से बीजेपी के उम्मीदवार नहीं होंगे. 

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इस बात की जानकारी विधायक अरुण सिन्हा ने खुद अपने सोशल मीडिया के जरिए दी है. एक्स पर पोस्ट कर उन्होंने लिखा है, "आगामी विधानसभा चुनाव में मैं प्रत्याशी के रूप में चुनाव नहीं लडूंगा, लेकिन संगठन के लिए कार्य करता रहूंगा. पिछले 25 वर्षों में आप सभी ने जो  विश्वास एवं सहयोग दिया उसका सदा आभारी रहूंगा. कार्यकर्ता सर्वों परी. संगठन सर्वों परी."

ऐलान से पहले ही पीछे हटे विधायक अरुण सिन्हा

जानकारी के लिए बता दें कि सत्तारूढ़ गठबंधन दल NDA में सीट शेयरिंग फाइनल हो गई है. NDA उम्मीदवारों के नाम की घोषणा भी जल्द होने वाली है. उम्मीदवार सूची आने से पहले ही अरुण अपनी दावेदारी से पीछे हट गए हैं. 

अरुण कुमार सिन्हा बीजेपी के उन वरिष्ठ विधायकों में से एक माने जाते हैं, जिनके टिकट को लेकर कुछ समय से अटकलें चल रही थीं. पार्टी के भीतर यह चर्चा थी कि इस बार अधिक आयु सीमा और नई पीढ़ी को मौका देने की रणनीति के तहत कुछ वरिष्ठ नेताओं के टिकट काटे जा सकते हैं. इसी कड़ी में अरुण कुमार सिन्हा का नाम भी शामिल बताया जा रहा था.

कुम्हरार विधानसभा सीट सिन्हा का रहता था दबदबा

कुम्हरार विधानसभा सीट बीजेपी का पारंपरिक गढ़ मानी जाती है. अरुण कुमार सिन्हा ने यहां से लगातार कई बार जीत दर्ज की है और अपने कार्यकाल के दौरान पटना शहर में कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है. उन्हें पार्टी के भीतर एक अनुशासित, ईमानदार और संगठननिष्ठ नेता के रूप में जाना जाता है.

पार्टी का निर्णय पूरी निष्ठा के साथ स्वीकार-  अरुण कुमार सिन्हा

अपने बयान में उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता सर्वोपरि हैं, संगठन सर्वोपरि है. सिन्हा ने स्पष्ट किया कि पार्टी के निर्णय को वह पूरी निष्ठा के साथ स्वीकार करते हैं और आगे भी संगठन के साथ मजबूती से जुड़े रहेंगे. उन्होंने अपने समर्थकों से अपील की कि वे बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर पूरा भरोसा बनाए रखें.

कुम्हरार सीट से अब नए चेहरे को मौका देगी बीजेपी

बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कुम्हरार सीट से अब नए चेहरे को मौका देने की संभावना है. हालांकि अभी तक इस सीट के संभावित उम्मीदवार का नाम आधिकारिक रूप से घोषित नहीं किया गया है. पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच सिन्हा के फैसले से मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. कुछ लोग इसे त्याग और अनुशासन का उदाहरण बता रहे हैं, जबकि कुछ इसे वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी मान रहे हैं.

अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि बीजेपी कुम्हरार सीट पर किसे उतारती है और क्या अरुण कुमार सिन्हा आगामी चुनाव प्रचार में सक्रिय रूप से पार्टी के साथ बने रहेंगे.