पटना: बिहार की राजनीति में इन दिनों शराब मामले को लेकर खूब बयानबाजी हो रही है. इसको लेकर बीजेपी लगातार नीतीश सरकार (Nitish Kumar) को घेर रही है. वहीं, बीजेपी (BJP) से राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने गुरुवार को जब कुछ प्रभावशाली लोगों के गंभीर मामलों में सजायाफ्ता होने के बावजूद उनकी रिहाई के लिए जेल मैन्युअल को शिथिल किया जा सकता है, तब शराबबंदी कानून तोड़ने के सामान्य अपराध से जुड़े तीन लाख 61 हजार मुकदमे भी वापस लिए जा सकते हैं. शराबबंदी कानून के तहत जिन 5 लाख 17 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया, वे कोई शातिर अपराधी नहीं हैं, उनमें 90 फीसद लोग दलित-पिछड़े-आदिवासी समुदाय के हैं. ऐसे लगभग 25 हजार लोग अभी भी जेल में हैं.

एक भी माफिया या शराब तस्कर को सजा नहीं हुई- सुशील मोदी 

सुशील कुमार मोदी ने कहा  कि शराबबंदी कानून के तहत गिरफ्तार लोगों के लिए आम माफी का एलान कर सरकार को 25 हजार लोगों की तुरंत रिहाई का रास्ता साफ करना चाहिए. इसे मुख्यमंत्री अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनाएं. छह वर्षों में जहरीली शराब पीने से मरने की 30 घटनाओं में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 196 लोगों की मौत हुई, लेकिन इस के लिए दोषी एक भी माफिया या शराब तस्कर को सजा नहीं हुई.

'माफी देने से सबको बड़ी राहत मिलेगी'

बीजेपी नेता ने कहा कि राज्य सरकार ने शराब से जुड़े मामले तेजी से निपटाने के लिए स्पेशल कोर्ट का गठन क्यों नहीं किया? किसी मामले में स्पीडी ट्रायल क्यों नहीं हुआ? गरीबों को उनके हाल पर क्यों छोड़ दिया गया? जेलों में जगह नहीं है और अदालतें पहले ही मुकदमों के बोझ से दबी हैं.गरीब मुकदमे के चक्कर में और गरीब हो रहे हैं. ऐसे में शराबबंदी कानून तोड़ने वालों को आम माफी देने से सबको बड़ी राहत मिलेगी.

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