पटनाः बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के राम और पंडितों के वायरल हो रहे बयान पर राज्यसभा के सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने नाराजगी जताई है. रविवार को उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ब्राह्मण समाज के लिए जीतन राम मांझी की कथित टिप्पणी अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. संवैधानिक पदों पर रह चुके उनके जैसे वरिष्ठ व्यक्ति को अपने शब्दों की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए और ऐसा कुछ नहीं बोलना चाहिए, जिससे समाज का सद्भाव बिगड़े.


सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकारों तक में मंत्री रहे स्वर्गीय रामविलास पासवान ने लंबे समय तक दलितों की सेवा की, लेकिन ऊंची जातियों के विरुद्ध उन्होंने कभी अपशब्द नहीं कहा. किसी समुदाय-विशेष का हितैषी होने के लिए दूसरों को आहत करना कोई लोकतांत्रिक आचरण नहीं है.


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लालू प्रसाद ने दलितों को पंचायतों में आरक्षण दिए बिना चुनाव कराया था, जबकि एनडीए सरकार ने एससी-एसटी, पिछड़े-अति पिछड़े वर्गों को आरक्षण देकर इन समुदायों के लोगों को मुखिया-सरपंच बनने के अवसर दिया. एनडीए ने ही ऊंची जाति के गरीबों को 10 फीसद रिजर्वेशन भी दिया. एनडीए ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और किसी का अपमान न करने की नीति पर काम किया.


बयान वायरल होने के बाद मांझी ने दी थी सफाई


बता दें कि जीतन राम मांझी ने एक बयान में कहा था कि वो राम को नहीं मानते हैं. पंडित आते हैं लेकिन खाना नहीं खाते हैं और कहते हैं कि नकद दे दीजिए. इस दौरान उन्होंने असंसदीय शब्द का भी इस्तेमाल किया था. बाद में उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी और कहा कि उन्होंने पंडितों के लिए नहीं बल्कि अपने समाज के लोगों के लिए वो कहा था. 


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