पटना: बिहार में जाति आधारित जनगणना की शुरुआत होते ही विपक्ष बिहार सरकार और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर हमलावर है. शनिवार को बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने जाति आधारित गणना कराने में सात माह की हुई देरी को लेकर हमला बोला. बिहार सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि बीजेपी तो जातिगत जनगणना के पक्ष में है, लेकिन कुछ सवाल है. दो जून 2022 कैबिनेट की बैठक में जातीय जनगणना कराने का निर्णय लिया गया, लेकिन सात महीने बाद इसकी शुरुआत हो रही है. इसमें सिर्फ मकानों की सूची सरकार बनाएगी, लेकिन वास्तविक सर्वे कब होगा इसका अभी पता नहीं है.

‘जातीय जनगणना में देरी को लेकर हमला’

सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल किया कि जब 22 जून 2022 को ही यह फैसला ले लिया गया था तब सरकार  इतनी लेट क्यों है? सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जो लोग भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाते हैं वह भूल जाते हैं कि 2010 में आर्थिक सर्वेक्षण जनगणना में हम लोगों ने साथ दिया था. हालांकि उस सर्वेक्षण का अभी तक कोई पता नहीं है. सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार से पहले कई राज्यों ने अपने खर्च पर जातीय जनगणना करवाई थी, लेकिन उसे प्रकाशित नहीं किया गया था. बिहार में इस पर 500 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. सरकार ने इसे लेकर क्या प्लानिंग की है.

दो चरण में होगी काउंटिंग

बता दें कि शनिवार से बिहार में कास्ट सेंसस शुरू है. यह गणना दो चरणों में होने होगी. राज्य में नीतीश कुमार की सरकार पहले चरण में मकान की गिनती करेगी और उसमें नंबरिंग करेगी. इसके बाद अगले चरण में एक अप्रैल से  जाति, पेशा और अन्य तरह की जानकारी इकट्ठा की जाएगी जिसको लेकर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है. हमारी शुरू से ही मांग रही है कि बिहार के साथ देश में भी जातीय जनगणना हो इसके लिए हम लोग सड़क पर भी उतरे थे.

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