पटनाः बिहार में एक नए मुद्दे पर जेडीयू (JDU) और आरजेडी (RJD) फिर एक साथ दिख रही है. मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने एक ट्वीट किया. ट्वीट में उन्होंने बीजेपी (BJP) पर निशाना साधा. तेजस्वी यादव ने ऐसे मुद्दे पर बात की जिस पर जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) बीते सोमवार को वो मुद्दा उठा चुके थे. दरअसल यह मुद्दा आर्मी बहाली को लेकर फॉर्म में पूछे गए जाति और धर्म को लेकर है.


'जाति के आधार पर अग्निवीरों की छंटनी'


तेजस्वी यादव ने मंगलवार को ट्वीट कर लिखा- "जात न पूछो साधु की लेकिन जात पूछो फौजी की संघ की बीजेपी सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है, लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है. ये जाति इसलिए पूछ रहे है क्योंकि देश का सबसे बड़ा जातिवादी संगठन आरएसएस बाद में जाति के आधार पर अग्निवीरों की छंटनी करेगा."






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उपेंद्र कुशवाहा ने भी इस पर उठाया मुद्दा


आरजेडी और जेडीयू के साथ होने की बात हम इसलिए कर रहे हैं कि बीते सोमवार को उपेंद्र कुशवाहा ने भी इस मामले में ट्वीट किया था. आज मंगलवार को भी एबीपी न्यूज से बातचीत में उन्होंने कहा कि सेना भर्ती में जाति और धर्म का कॉलम देखने के बाद मुझे भी इसका आश्चर्य हुआ. किसी भी व्यक्ति की जाति जानने की जरूरत तब पड़ती है जब उसके पिछड़ेपन को दूर करने के लिए सरकार विशेष अवसर दे. सेना में तो ऐसा है नहीं. इस परिस्थिति में जाति जानने का क्या औचित्य हो सकता है? यह बात मुझे समझ नहीं आ रही है.






उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि क्या सच और क्यों जाति के बारे में पूछा जा रहा है ये तो संबंधित अधिकारी हैं वो बताएंगे. हमने तो राजनाथ सिंह से भी आग्रह किया है कि इसके बारे में बताना चाहिए. सेना में जब आज की तारीख में ऐसी सुविधा है ही नहीं तो भर्ती में जाति पूछने का क्या मतलब है? इसके पीछे क्या मंशा है? जो लोग भर्ती होंगे वो देश की सेवा करेंगे. ऐसे में जाति पूछकर और धर्म पूछकर आखिर क्या दिखाना चाहते हैं?


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