पटना: बिहार में शराब को लेकर खूब राजनीति हो रही है, ये मुद्दा तूल पकड़ लिया है. वहीं, बीजेपी से राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी (Sushil Modi) ने एक बार फिर इस मुद्दे पर नीतीश सरकार (Nitish government) को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने कहा कि पूर्ण मद्यनिषेध लागू होने के कारण बिहार में 40 लाख से अधिक आबादी वाला पासी समाज सबसे ज्यादा परेशान हुआ. इनकी जीविका छिन गई, इसलिए सरकार को पासी समाज और जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) की मांगों पर सहानुभुतिपूर्वक विचार करना चाहिए.
पासी समाज का पेशा छिन गया- सुशील मोदी
सुशील मोदी ने कहा कि पासी समाज की पीड़ा को देखते हुए शराबबंदी कानून को शिथिल किया जाना चाहिए.उन्होंने कहा कि ताड़ी-नीरा बेच कर जीविका चलाने वाले वर्ग के पुनर्वास हेतु राज्य सरकार ने सतत जीविकोपार्जन योजना जैसी कुछ योजनाएँ शुरू कर पूंजीगत सहायता देने का प्रावधान किया था, लेकिन ये योजनाएँ धरातल पर सफल नहीं हो सकीं. परम्परागत पेशा छिन जाने से पासी समाज पर बेरोजगारी का जो पहाड़ टूटा, उससे उबारने में सरकार पूरी तरह विफल रही.
'तुगलकी फरमान जारी हुआ था'
बीजेपी नेता ने कहा शराबबंदी के बाद ऐसा तुगलकी फरमान जारी हुआ कि ताड़-खजूर के हरे-भरे पेड़ भी धड़ल्ले से काटे जाने लगे.आखिरकार हाईकोर्ट के आदेश से ताड़-खजूर के पेड़ों की रक्षा हुई. जितनी ताकत शराब-ताड़ी पीना रोकने पर लगाई गई, उसका दसवाँ हिस्सा भी नशामुक्ति केंद्रों को सक्रिय करने और जागरूकता अभियान चलाने पर केंद्रित नहीं हुआ. शराबबंदी फेल होने में यह बड़ा कारण रहा. यदि सरकार समय रहते शराबबंदी की समीक्षा के लिए तैयार हो जाती, तो विफलता के लिए जिम्मेदार बहुत सारे सुराख बंद किये जा सकते थे. बता दें कि छपरा में शराब से मौत के बाद सुशील मोदी लगातार सरकार को इस मुद्दे पर घेर रहे हैं. इस मुद्दे को लेकर कई सवाल उठा चुके हैं. सुशील मोदी इन दिनों बिहार राजनीति को लेकर काफी सक्रिय हैं.