Bihar News: बिहार में बुधवार (26 फरवरी) को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी के सात विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली. मंत्रिमंडल की संख्या में बीजेपी ने जेडीयू को पीछे छोड़ दिया है. बीजेपी के 21 मंत्री हैं जबकि जेडीयू के 13 मंत्री हैं. इन सबके बीच एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है. बीजेपी के जो 21 विधायक मंत्रिमंडल में हैं उनमें से एक भी यादव जाति से नहीं हैं.

क्या बीजेपी ने यादव जाति वाले मामले में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को वॉकओवर दे दिया है या फिर गैर यादव जातियों को साधकर बीजेपी एक अलग तरह की रणनीति पर बीजेपी काम कर रही है.

कुल 54 विधायक यादव जाति से हैं

बता दें कि बिहार में यादव जाति से 54 विधायक हैं. इसमें सबसे ज्यादा आरजेडी से 35, बीजेपी से 8, जेडीयू से 7, लेफ्ट से 3 और कांग्रेस से एक यादव विधायक है. यानी आरजेडी के बाद सबसे ज्यादा यादव विधायक बीजेपी के पास है. इसके बावजूद बीजेपी ने बुधवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में किसी यादव को मंत्री नहीं बनाया. सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने मंत्रिमंडल विस्तार के लिए जिन नामों पर विचार किया था उन नामों में यादव जाति की गायत्री देवी और एमएलसी नवल किशोर राय का नाम शामिल था. हालांकि इसके बाद भी यादव जाति के विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली.

बिहार में यादव वोटरों की बड़ी संख्या

बिहार में यादव जाति की बड़ी आबादी है. इसके बावजूद बीजेपी ने इस जाति को मंत्रिमंडल में शामिल न करके चुनावी साल में अपना सियासी एजेंडा साफ कर दिया है. जब आरजेडी के साथ जेडीयू ने सरकार बनाई थी तब 8 यादव विधायकों को मंत्री बनाया था. अभी जेडीयू से सिर्फ एक यादव को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है जबकि बीजेपी ने किसी यादव को मंत्री नहीं बनाया. यानी कुल मिलाकर बीजेपी आरजेडी के वोट बैंक यादव जाति पर बिल्कुल फोकस नहीं करना चाहती. किसी भी यादव विधायक को मंत्री न बनाकर बीजेपी ने साफ संदेश दिया है जो हमारे साथ नहीं हम उसके साथ नहीं.

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