बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने मई 2025 में ही उच्च जातियों की समस्या के समाधान के लिए सवर्ण आयोग का गठन किया था, जिसे उच्च जातियों के विकास के लिए बनाया गया था. लेकिन इस आयोग में सवर्ण जातियों की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है और आपस में ही आयोग के सदस्य विवाद बढ़ा रहे हैं. दरअसल सरकारी दस्तावेजों में भूमिहार जाति के लोगों को भूमिहार ब्राह्मण लिखने या सिर्फ भूमिहार लिखने पर सवर्ण आयोग में मामला गया. इसके लिए दो बार आयोग में बैठक भी हुई लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय हो पाया.

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जानकारी के अनुसार आयोग में पांच में से चार सदस्य इसके खिलाफ हैं. इस मामले को लेकर 21 नवंबर और 8 दिसंबर को दो बैठक हो चुकी है लेकिन 4 सदस्य के खिलाफ होने के कारण अभी तक सवर्ण आयोग इस पर कोई फैसला नहीं लिया है. अब तीसरी बैठक होनी है. अगर इस बैठक में भी कोई निर्णय नहीं लिए जाते हैं तो मामला आयोग से निकलकर राज्य सरकार के हवाले हो जाएगी.

अवधेश मिश्रा और अंजनी कुमार बेनीपुरी ने दिया था आवेदन

दरअसल, समान्य प्रशासन विभाग के संयुक्त सचिव की ओर से 10 अक्टूबर को सवर्ण आयोग को पत्र भेज कर मार्गदर्शन मांगा गया था कि सरकारी दस्तावेजों में भूमिहार जाति को भूमिहार लिखा जाए या भूमिहार ब्राह्मण लिखा जाए. भूमिहार जाति से आने वाले अवधेश मिश्रा और अंजनी कुमार बेनीपुरी ने राज्य सरकार के पास आवेदन दिया था कि जातीय जनगणना की रिपोर्ट और सरकारी दस्तावेजों में भूमिहार लिखा गया है जबकि भूमिहार ब्राह्मण लिखा जाना चाहिए लेकिन कई भूमिहार जातियों का कहना है कि हम दूसरे की जाति से अपना परिचय नहीं लेंगे, हमें सिर्फ भूमिहार जाति ही रहना है.

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सामान्य प्रशासन विभाग ने सवर्ण आयोग से मांगा था मार्गदर्शन

अब इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने सवर्ण आयोग से मार्गदर्शन मांगा कि भूमिहार जाति के लोगों को भूमिहार लिखा जाए या भूमिहार ब्राह्मण. हालांकि की तीसरी बैठक में भी भूमिहार या भूमिहार ब्राह्मण में कोई एक लिखने पर सहमति नहीं बनी तो वोटिंग से फैसला हो सकता है .आयोग के अध्यक्ष इस पर वीटो लगाकर आयोग के एजेंडे से बाहर कर सकते हैं और राज्य सरकार इस पर निर्णय ले सकती है.

सवर्ण आयोग के अध्यक्ष ने क्या कहा?

सवर्ण आयोग के अध्यक्ष डॉ० महाचंद्र सिंह ने कहा, ''अगली बैठक यानी तीसरी बैठक में विवाद का समाधान हो जाने की उम्मीद है. सदस्यों के चिंतन मंथन के लिए पर्याप्त सबूत और साक्ष्य उपलब्ध करा दिए गए हैं.'' हालांकि जब आयोग में यह मामला गया था तो उस वक्त भी अवधेश मिश्रा  और अंजनी कुमार बेनीपुरी से सबूत जमा करने के लिए कहा था. 

इसके अलावा भूमिहार के बदले भूमिहार ब्राह्मण लिखने का विरोध करने वाले से भी आयोग के पास साक्ष्य जमा करने के लिए कहा गया और दोनों पक्ष की ओर से सबूत भी दिए गए हैं. लेकिन आयोग के चार सदस्य ही भूमिहार ब्राह्मण लिखने के खिलाफ हो गए हैं. कहा गया है कि किसी भी जाति को खुद किस नाम से पुकारना चाहते हैं यह उनका विशेष अधिकार है. आयोग के सदस्य राजकुमार सिंह ने कहा, ''दस्तावेजों के आधार पर राज्य सरकार को ही फैसला लेना चाहिए था. उच्च जातियों के विकास के लिए गठित राज्य आयोग में इस तरह के विवादित मामले को नहीं लाना चाहिए.''