2025 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के युवाओं के हित में बड़ा फैसला लिया और शिक्षा विभाग की नौकरियों में 40% डोमिसाइल नीति लागू कर दी गई. कैबिनेट से यह पास भी हो गया. सवाल है कि डोमिसाइल पॉलिसी क्या है और इससे बिहार के युवाओं को कितना फायदा होगा? अन्य राज्य के युवाओं पर क्या असर पड़ेगा? रिपोर्ट में पूरा हिसाब-किताब समझिए.
क्या है डोमिसाइल पॉलिसी? (What is Domicile Policy)
डोमिसाइल का मतलब है किसी व्यक्ति का स्थायी निवास या वह स्थान जहां वह कानूनी रूप से रह रहा है. डोमिसाइल नीति के मुताबिक, प्रदेश की सरकार उसी प्रदेश के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में सीटों को आरक्षित रखती है.
आरक्षण का गुणा-गणित समझिए
बिहार में जाति के आधार पर 50 फीसद और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसद आरक्षण है. यानी कुल 60 फीसद हो गया. अब बची 40 फीसद सामान्य सीट में से 35 फीसद बिहार की महिलाओं के लिए रिजर्व है. अब नियमावली में संशोधन कर 40 फीसद सामान्य सीटों के बचे 65 फीसद सीटों में से 40% सीट आरक्षित कर दी गई है. ऐसे में 40 फीसद सामान्य सीटों में से 15 फीसद सीटें बच जाएंगी. इन पर बिहार और दूसरे राज्य के सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी आवेदन कर सकेंगे.
किसे मिलेगा इसका लाभ?
अब बिहार के शिक्षा विभाग में 40% डोमिसाइल नीति लागू कर दी गई है तो इसका असर क्या होगा यह समझना जरूरी है. अब इससे बिहार के 85 से 86% युवाओं के लिए शिक्षा विभाग में नौकरी आरक्षित हो गई है. हालांकि यह साफ किया गया है कि जिन अभ्यर्थियों का मैट्रिक और इंटरमीडिएट का सर्टिफिकेट बिहार का होगा उसी को यह लाभ मिलेगा. इसमें बाहर के राज्यों के जिन्होंने बिहार से ही मैट्रिक और इंटरमीडिएट की शिक्षा ली है उन्हें भी यह लाभ मिल जाएगा.
बता दें कि शिक्षक बहाली के पहले चरण (TRE-1) से ही डोमिसाइल की मांग तेज हो गई थी. अब तक तीन चरण में हुई शिक्षकों की बहाली में बिहार के बाहर के कई राज्यों के काफी शिक्षक भर्ती हुए हैं. इसके बाद डोमिसाइल नीति की मांग को लेकर काफी आंदोलन भी हुआ. कहा जा रहा था कि मध्य प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में डोमिसाइल नीति पहले से लागू है फिर बिहार में सभी राज्यों को लोगों को नौकरी क्यों दी जा रही है?