निवर्तमान बिहार विधानसभा की कार्यवाही कुल 146 दिन चली जो राज्य विधानसभा के अब तक के पांच साल के सभी कार्यकालों में सबसे कम अवधि है. एक विधायी थिंक टैंक ने यह जानकारी दी.
‘पीआरएस लेजिस्लेटिव’ के एक विश्लेषण के अनुसार, निवर्तमान 17वीं विधानसभा की बैठक साल में औसतन 29 दिन हुईं और जब सदन की बैठक हुई, उन दिनों औसतन तीन घंटे ही कामकाज हुआ.
बिहार में छह और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा और मतों की गिनती 14 नवंबर को होगी.
विश्लेषण के अनुसार, 17वीं विधानसभा ने 78 विधेयक पारित किए और सभी कानून उनके पेश होने के दिन ही पारित कर दिए गए. इसके अनुसार किसी भी विधेयक को आगे विचार-विमर्श के लिए किसी समिति के पास नहीं भेजा गया.
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इस कार्यकाल के दौरान पारित ज्यादातर विधेयक शिक्षा, वित्त, कराधान और प्रशासन से संबंधित थे. इनमें से कुछ विधेयकों में बिहार सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024, बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक, 2024 और प्लेटफॉर्म आधारित गिग श्रमिक (पंजीकरण, सुरक्षा और कल्याण) विधेयक, 2025 शामिल थे.
मंत्रालय के व्यय पर औसतन नौ दिन तक चर्चा की
गिग श्रमिक वे व्यक्ति होते हैं जो स्थायी नौकरी करने के बजाय अस्थायी, परियोजना-आधारित या फ्रीलांस पर काम करते हैं. ये अक्सर डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपनी सेवाएं देते हैं.
विधानसभा ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण बढ़ाने के लिए 2023 में दो विधेयक पारित किए. पटना उच्च न्यायालय ने हालांकि, जून 2024 में इन्हें रद्द कर दिया.
वार्षिक बजट पर सामान्य चर्चा के अलावा विधायकों ने इस कार्यकाल के दौरान प्रमुख मंत्रालयों के व्यय पर भी चर्चा की. इसमें कहा गया है कि 2020 के बाद से पांच वर्षों में विधानसभा ने मंत्रालय के व्यय पर औसतन नौ दिन तक चर्चा की.