मुज़फ्फरपुर: बाढ़ और कोरोना के कहर में फंसे लोग, नहीं कर पा रहे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन
एक तरफ जिले की सभी नदियां उफान पर हैं, तो वहीं कोरोना भी अपना कहर बरसा रहा है. सरकार का दावा है कि बाढ़ से प्रभावित लोगों को बचाने के लिए हर संभव कदम उठाया जा रहा है.
मुज़फ्फरपुर: बिहार में कोरोना और बाढ़ की दोहरी मार झेल रहे लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. लोग अपना आशियाना छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेने रहे हैं. लोगों की ऐसी दुर्दशा हो गई है कि वह अगर बाढ़ से बच भी जाएं तो कोरोना से कैसे बचेंगे? और कोरोना से बच गए, तो फिर बाढ़ से कैसे बचे?
इन दिनों में मुजफ्फरपुर के लोग इसी जद्दोजेहद में हैं. बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि घरों में पानी घुसने की वजह से वो लोग घर में रह नहीं सकते. वहीं, ऊंचे जगहों पर रहने में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाता है. मास्क के बारे में पूछने पर लोगों ने कहा कि मास्क तो है पर लगाया नहीं है.
एक तरफ जिले की सभी नदियां उफान पर हैं, तो वहीं कोरोना भी अपना कहर बरसा रहा है. सरकार का दावा है कि बाढ़ से प्रभावित लोगों को बचाने के लिए हर संभव कदम उठाया जा रहा है और कोरोना के लिए भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है, लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
जिला प्रशासन बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद का दावा कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत और प्रशासन के दावे मेल नहीं खाते दिख रहे. जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि बाढ़ के पानी की वजह से कई लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं, जिनकी सरकार की ओर से मदद की जा रही है.
जब इसकी हकीकत की पड़ताल की गई, तो सरकार का दावा खोखला साबित हुआ. बच्चे और बुजुर्गों के चेहरे पर मास्क नहीं नज़र आया. कोरोना काल में बाढ़ पीड़ित लोग कोरोना के खतरे के बीच बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के रहते दिखाई दिए.
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