मोकामा में RJD समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के बाद से माहौल गरमाता जा रहा है. जनसुराज उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी और मृतक के पोते नीरज सिंह ने दावा किया है कि यह कोई अचानक हुई वारदात नहीं, बल्कि अनंत सिंह द्वारा रची गई “प्री-प्लान मर्डर की साजिश” थी. उनका कहना है कि घटना के वक्त जनसुराज उम्मीदवार वहां प्रचार में मौजूद थे, जब गोलीबारी और हत्या हुई. आरोप है कि अनंत सिंह खुद इस हमले में शामिल था और उसके साथ आए सरकारी सुरक्षाकर्मियों ने भी अपराधियों जैसा बर्ताव किया.

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जनसुराज उम्मीदवार का आरोप

एबीपी न्यूज से बातचीत में पीयूष प्रियदर्शी ने बताया कि अनंत सिंह वास्तव में उन्हें निशाना बनाने के इरादे से आया था, लेकिन संयोगवश दुलारचंद यादव की गाड़ी बीच में आ गई. पीयूष ने कहा, “अनंत सिंह ने अपने सुरक्षाकर्मियों को इशारा किया और दुलारचंद यादव को गाड़ी से उतरवाया गया. पहले उसके पैर में गोली मारी गई, फिर गाड़ी से कुचल दिया गया.” उनका आरोप है कि घटना के दौरान सरकारी सुरक्षा में तैनात जवानों ने न तो हस्तक्षेप किया, न ही पीड़ित को बचाने की कोशिश की.

पोते नीरज सिंह का बयान

दुलारचंद यादव के पोते नीरज सिंह, जो घटना के समय उनके साथ थे, ने एबीपी न्यूज को दिए बयान में बताया कि वे आरजेडी के प्रचार के लिए निकले थे, जबकि पास में जनसुराज के उम्मीदवार भी प्रचार कर रहे थे. नीरज के मुताबिक, “जैसे ही अनंत सिंह की गाड़ी आई, जनसुराज का काफिला रास्ता बदलने लगा. उसी दौरान अनंत सिंह की आगे वाली गाड़ी में बैठे गुंडों ने दादाजी को देखकर गाड़ी रुकवाई.” उन्होंने आगे कहा, “दादाजी ने मुझसे कहा कि मैं गाड़ी से न उतरूं. इसके बाद उन गुंडों ने दादाजी को उतारकर मारपीट की. फिर अनंत सिंह खुद रिवाल्वर लेकर उतरा और उनके पैर में गोली मारी.” नीरज ने बताया कि जब दुलारचंद गिर पड़े, तो अनंत सिंह के काफिले की आगे वाली गाड़ी ने उन्हें कुचल दिया.

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घटना के बाद माहौल तनावपूर्ण

नीरज सिंह ने यह भी कहा कि “अनंत सिंह दरअसल जनसुराज के उम्मीदवार पर हमला करने आया था, लेकिन दुलारचंद दादा उसके सामने पड़ गए तो उन्हें निशाना बनाया गया, ताकि इलाके में उसका डर कायम रहे.” कुछ देर बाद जब जनसुराज का काफिला वापस लौटा, तब उन्होंने घायल दुलारचंद को अस्पताल पहुंचाने में मदद की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. वहीं, एबीपी न्यूज की टीम जब मौके पर पहुंची तो लोगों ने अनंत सिंह के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. ग्रामीणों का कहना है कि यह हत्या मोकामा की राजनीति में खौफ और प्रतिद्वंद्विता का नतीजा है.