पटना: जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार की नेतृत्व में बिहार में एनडीए के नई सरकार का गठन हो चुका है. लेकिन सरकार के गठन के बाद भी सियासत जारी है. विपक्ष एक के बाद एक मुद्दे पर मौजूदा सरकार को घेर रही है. पहले शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी को लेकर बवाल किया गया, उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को लेकर विवाद जारी है. अब इस फेहरिस्त में सूबे के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी का नाम जुड़ गया है.


सारा विवाद भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी के हाल ही में मीडिया को दिए गए उस बयान से जुड़ा है जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को 'Not a big deal' (कोई बड़ी बात नहीं है) कह कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की थी. दरसअल, मेवालाल चौधरी के इस्तीफे के बाद जेडीयू नेता अटैक मोड में आ गए हैं और लगातार भ्रष्टाचार के मामले में चार्जशीटेड नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.


इसी क्रम में मंत्री अशोक चौधरी भी तेजस्वी पर लगे आरोपों को गिनाते हुए उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे थे. हालांकि इसी दौरान जब उनकी पत्नी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप जिनमें वो चार्जशीटेड भी हैं कि चर्चा की गई तो उन्होंने कहा 'Not a big deal' (कोई बड़ी बात नहीं है). हमारा केस सुप्रीम कोर्ट में है और जब हियरिंग होगी तो हम अपना पक्ष रखेंगे. हमें अभी तक अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला है.



उनका बयान देना था कि एक नया विवाद शुरू हो गया. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस संबंध में ट्वीट कर कहा, " साहित्यिक चोरी के दोषी मुख्यमंत्री माननीय नीतीश जी के मुकुट मणि, JDU के कार्यकारी अध्यक्ष और मंत्री श्री अशोक चौधरी की पत्नी पर बैंक से करोड़ों की धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप है,CBI जाँच कर रही है, कोर्ट में केस है. इनकी निष्कपटता देखिए. कहते हैं बीवी का भ्रष्टाचार 'Not a big deal'.


वहीं, आरजेडी ने अपने आधिकारिक ट्विटर एकाउंट से ट्वीट कर कहा कि नीतीश कुमार के नवरत्नों में सभी अपराधी और भ्रष्टाचारी ही क्यों है? इनके मंत्रियों से करोड़ों के भ्रष्टाचार पर सवाल पूछो तो कहते है कि Corruption is not a big deal (भ्रष्टाचार कोई बड़ी बात नहीं है).


बहरहाल, सरकार गठन के बाद से ही अलग-अलग मुद्दों पर विवाद जारी है. वहीं, कल यानी 23 नवंबर से 17वीं विधानसभा के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हो रही है, ऐसे में विपक्ष भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर नीतीश सरकार को घेरने की तैयारी में लगी है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्षी पार्टी के नेता अपने इस रणनीति में कितना कामयाब होते हैं.


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