Lok Sabha Elections 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते सोमवार को खुले मंच से कहा कि हम जब तक जिंदा रहेंगे दलितों के आरक्षण को मुसलमान में नहीं जाने देंगे. अब इस पर बिहार में भी राजनीति गरमा गई है. बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने बुधवार(1 मई) को बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को जानकारी का अभाव है. तेजस्वी यादव ने कहा कि अभी कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया गया, लेकिन उन्हीं के विचारों का विरोध कर रहे हैं.


'कर्पूरी जी के निर्णय को गलत कहना उचित नहीं'


तेजस्वी यादव ने कहा, "जब पहली बार कर्पूरी ठाकुर जी मुख्यमंत्री बने थे, तो जितने भी सामाजिक और पिछड़ी जाति थे चाहे किसी भी धर्म के हों सबको पहली बार आरक्षण मिला था. जेडीयू के नेताओं से पूछिए वह इस पर क्या कहते हैं कर्पूरी जी के निर्णय को गलत कहना क्या उचित है. पहली बार आरक्षण मिला था चाहे किसी भी धर्म में सामाजिक तौर पर जो पिछड़ी जाति के हैं और मंडल कमीशन में भी 84 से 85 ऐसी पिछड़ी जातियां जो है उनको मिलने की सिफारिश हुई थी."


चिराग पासवान पर भी साधा निशाना 


चिराग पासवान के दिए गए बयान कि 2020 में अगर एक साथ लड़ते तो तेजस्वी यादव को दहाई आंकड़ा भी नहीं आ पाता. इस पर तेजस्वी यादव ने कहा उनकी बातों को छोड़िए. चिराग पासवान बोलते हैं जो संपन्न दलित है उन्हें तो आरक्षण छोड़ देना चाहिए. तो फिर वे आरक्षण क्यों नहीं छोड़ते हैं .बेंगलुरु में जो हो रहा है, कर्नाटक में जो हो रहा है उस पर नहीं बोल रहे है चिराग पासवान. बीजेपी के नेता बाबा साहब अंबेडकर के संविधान को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं तो मुंह नहीं खुल रहा है उनका. 


वहीं, विजेंद्र यादव के दिए गए बयान कि जमानत पर आप लोग घूम रहे हैं, इस पर तेजस्वी यादव ने कहा कि इसमें दिक्कत क्या है. उन्हीं ने फंसाया है. कोर्ट ने हमको जमानत दिया यही लोग फंसाए थे. चार दिन पहले नीतीश जी कह रहे थे जान बूझकर ईडी और सीबीआई वाला उनके पीछे पड़ जाता है. अब फिर उनके पास चले गए हैं तो अलग बोली बोल रहे है.


'एमपी चुनने का अधिकारी भी नहीं दे रहे हैं'


तेजस्वी यादव ने कहा कि इतना खतरनाक डिजाइन हो रखा है पूरे देश का. चंडीगढ़ में कितनी बड़ी बेईमानी हुई. बीजेपी को कैसे जिताया गया. सुप्रीम कोर्ट की फटकार को सुन रहे हैं. क्या हुआ आखिर रद्द किया गया. इंदौर में जो व्यक्ति प्रत्याशी था, उस पर तीन दिन पहले 307 का मुकदमा डाल करके उसको वापस कर लिया. सूरत में खरीद लिया गया. खजुराहो में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी का नामांकन रद्द कर दिया गया. ये लोग जनता को भी अपना एमपी चुनने का अधिकारी नहीं दे रहे हैं.


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