बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. करीब तीन साल से निलंबन की कार्रवाई झेल रहे आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार को सरकार ने निलंबनमुक्त कर दिया है. इस निर्णय को चुनावी माहौल से जोड़कर भी देखा जा रहा है.

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बिहार कैडर के 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार पर वर्ष 2022 में गंभीर आरोप लगे थे. इसके बाद अक्टूबर 2022 में उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था. अब तीन साल बाद उन्हें राहत देते हुए गृह विभाग ने शुक्रवार को आदेश जारी किया है. आदेश के मुताबिक, 3 अक्टूबर 2025 से आदित्य कुमार निलंबनमुक्त रहेंगे और उन्हें बिहार पुलिस मुख्यालय में पदस्थापन की प्रतीक्षा में योगदान देने को कहा गया है.

फर्जी कॉल विवाद से जुड़े आरोप

आदित्य कुमार पर आरोप है कि उन्होंने तत्कालीन डीजीपी को हाई कोर्ट के जज के नाम से फर्जी कॉल कराई थी. इस मामले में आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने प्राथमिकी दर्ज की थी. आरोप लगने के बाद से ही वे लगातार निलंबन झेल रहे थे. मामला गंभीर होने के कारण विभागीय और आपराधिक जांच शुरू हुई थी, जो अभी भी जारी है. सरकार ने साफ किया है कि निलंबनमुक्त किए जाने के बावजूद यह जांच अपने अंतिम नतीजे तक जारी रहेगी.

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चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मी

आदित्य कुमार को निलंबन से मिली इस राहत को बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है. चुनावी समय में प्रशासनिक स्तर पर कई फेरबदल होते रहे हैं और इस कदम को उसी कड़ी में माना जा रहा है. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि यह केवल प्रशासनिक निर्णय है और जांच प्रक्रिया पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.

जांच पूरी होने के बाद भविष्य का तय होगा अंतिम फैसला

विभागीय सूत्रों के अनुसार, आदित्य कुमार को फिलहाल पुलिस मुख्यालय में योगदान देने के निर्देश दिए गए हैं. जब तक उनके खिलाफ लंबित जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक उन्हें कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी. विभाग का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद ही उनके भविष्य पर अंतिम फैसला लिया जाएगा.

तीन साल बाद निलंबन से मिली राहत ने आदित्य कुमार को जरूर राहत दी है, लेकिन फर्जी कॉल विवाद से जुड़ा मामला अभी भी उनकी पेशेवर छवि पर प्रश्नचिह्न लगाए हुए है. अब देखना होगा कि जांच किस दिशा में जाती है और यह निर्णय उनके करियर को किस मोड़ पर ले जाता है.