बिहार में चुनावी तारीखों के ऐलान के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. आचार संहिता के अनुसार अब किसी भी व्यक्ति के पास कितना कैश होगा इस पर एक सीमा तय की गई है.
जिला प्रशासन ने साफ निर्देश जारी किए हैं कि कोई भी व्यक्ति यदि 50 हजार रुपये से अधिक नकद लेकर चलता है, तो उसके पास वैध दस्तावेज होने जरूरी हैं. अन्यथा, रकम जब्त की जा सकती है. वहीं, चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए खर्च की अधिकतम सीमा 40 लाख रुपये तय की गई है ताकि काले धन के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सके.
कड़ी निगरानी होगी कैश पर
जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने बताया कि आयोग ने प्रत्येक प्रत्याशी को नया बैंक खाता खुलवाने और सभी खर्च उसी खाते से करने का निर्देश दिया है. 10 हजार रुपये से अधिक के हर लेनदेन की निगरानी होगी. चुनाव में अवैध धन के प्रयोग को रोकने के लिए जिले में करीब 20 इंफोर्समेंट एजेंसियां सक्रिय कर दी गई हैं.
इसके अलावा, सीमाई क्षेत्रों पर 32 चेकपोस्ट बनाए गए हैं ताकि मादक पदार्थ, अवैध शराब, जाली नोट, या बहुमूल्य धातुओं के अवैध परिवहन पर रोक लगाई जा सके.
सामान्य लोगों के लिए ये है नियम
डीएम ने स्पष्ट किया कि आमजन के लिए 50 हजार से अधिक नकद राशि ले जाना प्रतिबंधित नहीं है, बशर्ते उनके पास स्रोत और उद्देश्य से संबंधित वैध दस्तावेज हों. यदि किसी के पास बैंक विड्राल स्लिप, मोबाइल मैसेज, व्यापारिक बिक्री का बिल, या भुगतान रसीद जैसी साक्ष्य उपलब्ध हैं, तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी. शादी-विवाह, व्यापार या इलाज जैसे कार्यों के लिए नकदी ले जाने वालों को केवल दस्तावेज साथ रखना अनिवार्य है. एटीएम वैन और बैंकों को भी कैश ट्रांसफर से जुड़ी पूरी जानकारी रखनी होगी.
क्या होगा अगर मिला ज्यादा कैश?
यदि किसी व्यक्ति से 50 हजार से अधिक नकदी बिना साक्ष्य के पकड़ी जाती है, तो वह अस्थायी रूप से जब्त की जाएगी. बाद में वैध दस्तावेज प्रस्तुत करने पर राशि वापस की जा सकेगी. जागरण के रिपोर्ट्स के अनुसार, यदि साक्ष्य समय पर नहीं दिए गए, तो चुनाव के बाद सत्यापन के उपरांत पैसा लौटाया जा सकता है. लेकिन संतोषजनक प्रमाण न मिलने पर रकम जब्त होने के साथ जेल भेजे जाने की कार्रवाई भी संभव है. वहीं, यदि पकड़ी गई नकदी या आभूषणों का मूल्य 10 लाख रुपये से अधिक है, तो उसकी सूचना आयकर विभाग को दी जाएगी.